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डेंगू से जमशेदपुर में बिगड़ी हालात, अस्पतालों में नहीं मिल रहे बेड, रोजाना हो रहा हंगामा

by Rakesh Pandey
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हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर में डेंगू सहित वायरल फीवर के मरीजों में भारी इजाफा होने की वजह से मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं। मरीजों की संख्या इतनी अधिक बढ़ गई है कि उन्हें अस्पतालों में बेड मिलना मुश्किल हो गया है। इसे लेकर रोजाना हो-हंगामा वाली स्थिति उत्पन्न हो रही है। शहर के लगभग सभी सभी निजी व सरकारी अस्पतालों में बेड फुल चल रहे हैं।

कोल्हान प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में रविवार की रात एक मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मरीज मानगो के ओल्ड पुरुलिया रोड निवासी है। उसे दोपहर के तीन बजे भर्ती कराया गया लेकिन रात के नौ बजे तक बेड नहीं मिला। जिसके कारण वह फर्श पर भी पड़ा रहा। लगभग छह घंटे के बाद भी जब बेड नहीं मिला तो उनके परिजन आक्रोशित हो गए और यहां की व्यवस्था पर सवाल
उठाते हुए हंगामा करने लगे।

अधीक्षक ने उपलब्ध कराया बेड

घटना की जानकारी एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डा. रविंद्र कुमार के पास पहुंची तो उन्होंने तत्काल कुछ मरीज को वार्ड में शिफ्ट करने का निर्देश दिया। इसके बाद जाकर किसी तरह एक बेड उस मरीज को उपलब्ध कराया गया। हालांकि, उसके जैसा लगभग आधे दर्जन से अधिक मरीज इमरजेंसी विभाग में बेड के लिए इंतजार कर रहे हैं। वे मरीज स्ट्रेचर, कुर्सी व व्हील चेयर व फर्श पर लेटकर इलाज करा रहे हैं।

एमजीएम के इमरजेंसी में बढ़ाए गए 15 बेड

मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एमजीएम के इमरजेंसी विभाग में 15 नए बेड लगाए गए हैं। इसके बावजूद भी मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। इसी तरह, सदर अस्पताल में भी 10 नए बेड बढ़ाए गए हैं लेकिन वहां भी बेड फुल है। निजी अस्पतालों में भी मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है।

निजी अस्पतालों में मरीजों से वसूली जा रही मनमानी राशि

शहर के निजी अस्पतालों में डेंगू के नाम पर मरीजों से मनमानी राशि वसूली जा रही है। इसकी शिकायत जमशेदपुर के सिविल सर्जन डा. जुझार माझी तक पहुंची तो उन्होंने एक महत्वपूर्ण बैठकर बुलाकर सभी निजी अस्पतालों को रेट कम करने का सख्त निर्देश दिया। लेकिन इसके बावजूद निजी अस्पताल व पैथोलाजी सेंटरों का मनमानी जारी है।

मान्य नहीं है कार्ड टेस्ट

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, डेंगू जांच के लिए चिकित्सकों द्वारा कराए जा रहे कार्ड टेस्ट मान्य नहीं है। फिर भी डेंगू के नाम पर मरीजों की जांच कराई जा रही है। ऐसे में अब इसे क्या कहा जाए? शहर के पैथोलाजी सेंटर व निजी अस्पतालों में मनमानी ढंग से कार्ड टेस्ट किया जा रहा हैं। इस दौरान किसी सेंटर में 800 रुपए तो किसी में 1000 व 1200 रुपए लिए जा रहे हैं। जबकि यह टेस्ट मान्य ही नहीं है फिर भी इसका उपयोग किया जा रहा है। जमशेदपुर के सिविल सर्जन डा. जुझार माझी कहते हैं कि डेंगू का कार्ड टेस्ट मान्य नहीं है। वहीं, इसकी जांच दर भी अधिक है, जिसे कम करने का निर्देश दिया गया है।

रोजाना 3000 से अधिक लोग करा रहें कार्ड टेस्ट

शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों का आंकड़ा देखा जाए तो इन दिनों सबसे अधिक मरीज बुखार व वायरल फीवर के पहुंच रहे हैं। इसमें से अधिकांश मरीजों को कार्ड टेस्ट कराने की सलाह दी जा रही है। निजी पैथोलाजी सेंटर, नर्सिंग होम व निजी अस्पतालों में रोजाना लगभग तीन हजार से अधिक मरीजों का कार्ड टेस्ट किया जा रहा है। जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं है। इस जांच पर रोजाना लगभग 36 लाख रुपए खर्च हो रहा है।

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डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग का दिशा-निर्देश

– डेंगू के इलाज के लिए कार्ड टेस्ट मान्य नहीं है। ऐसे में एलीजा जांच अनिवार्य है। इसका रिपोर्ट पाजिटिव आने के बाद ही डेंगू की पुष्टि की जा सकती है।
– मरीज को अगर पांच दिनों से बुखार है और उसका प्लेटलेट्स 40 हजार तक आ जाए तो उस परिस्थिति में एलीजा जांच अनिवार्य रूप से कराएं।
– मरीज का प्लेटलेट्स 10 हजार से कम हो जाए तो उस अवस्था में तत्काल प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत है।
– मरीज का प्लेटलेट्स अगर 20 हजार तक आ जाए तो चिकित्सक मरीज की स्थिति को देखते हुए निर्णय ले सकते हैं। इस दौरान प्लेटलेट्स चढ़ाई भी जा सकती है और नहीं भी।

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