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कौन थीं सोनल मां? जिनको पीएम मोदी ने किया याद

by Rakesh Pandey
Sonal Maa
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स्पेशल डेस्क : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जूनागढ़ की सोनल मां (Sonal Maa) को जन्म शताब्दी समारोह पर स्मरण करते हुए सोशल मीडिया पर संदेश जारी किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है सोनल मां देश की एकता और अखंडता की मजबूत प्रहरी थीं। प्रधानमंत्री के संदेश को भारतीय जनता पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा किया है।

वीडियो जारी कर सोनल मां को किया याद

आई श्री सोनल मां की जन्म शताब्दी के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो संदेश जारी कर उन्हें याद किया। जूनागढ़ में लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कि श्री सोनल मां का जीवन जनकल्याण, देश सेवा और धर्म के लिए समर्पित रहा। उन्होंने कई महान लोगों जैसे भगत बापू, विनोबा भावे, रविशंकर महाराज, कानभाई लाहरी, कल्याण सेठ के साथ काम किया।

कौन थीं Sonal Maa?

गुजरात और खासकर सौराष्‍ट्र को संतों की भूमि कहा जाता रहा है। सौराष्‍ट्र में जलाराम बापा, नरसिंह मेहता, सेठ शगलशाह, बापा सीताराम, आपागिगा नागबाई जैसे कई संत हुए हैं। इन सभी संतों को इनके जीवनकाल में ही जीवित देवों की तरह पूजा जाता है। यही नहीं, उनके शरीर छोड़ने के बाद आज तक उन्‍हें समाज का हर तबका पूरा सम्‍मान देता है। ऐसे ही महान संतों में श्री सोनल मां भी शामिल हैं। वह सौराष्ट्र के जूनागढ़ से 30 किलोमीटर दूर मरधा गांव की रहने वाली हैं।

इस जगह को कैरों का शक्तिपीठ कहा जाता है। स्‍थानीय लोग दावा करते हैं कि उन्‍होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्‍कार किए थे। लोगों का कहना है कि आई श्री सोनल मां पुरुष के तौर पर पैदा हुई थीं। लेकिन, आज उन्हें देवी के तौर पर पूजा जाता है। मरधा गांव में करीब 700 लोग ही रहते हैं, लेकिन हर दिन हजारों लोग Sonal Maa के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।

जानिए पीएम मोदी ने क्या कहा

प्रधानमंत्री ने कहा कि आई श्री Sonal Maa की जन्म शताब्दी पौष के पवित्र महीने में पड़ रही है और यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं इस पवित्र कार्यक्रम से जुड़ा। प्रधानमंत्री ने पूरे चारण समाज को इस अवसर पर बधाई दी और कहा कि मढ़रा धाम चारण समाज के लिए शक्ति, परंपराओं और विधान का केंद्र है। मैं श्री सोनल मां के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। पीएम ने कहा ‘चारण समाज के विद्वानों के बीच उनका एक विशेष स्थान हुआ करता था।

उन्होंने कितने ही युवाओं को दिशा दिखाकर उनका जीवन बदला। उन्होंने समाज में शिक्षा के प्रसार के लिए अद्भुत काम किया। सोनल मां ने व्यसन और नशे के अंधकार से समाज को निकालकर नई रोशनी दी। कच्छ के वोवार गांव से उन्होंने बहुत बड़ा प्रतिज्ञा अभियान शुरू किया था। पशुधन के प्रति भी उनका उतना ही बल था। पशुधन की रक्षा करने पर वह हर क्षेत्र में हर समय आग्रह करती थीं।

नशे के अंधकार से निकालकर दी रौशनी

पीएम मोदी ने संदेश में कहा है कि भारत विभाजन के समय जब जूनागढ़ को तोड़ने की साजिशें चल रही थीं, तो उसके खिलाफ सोनल मां चंडी की तरह उठ खड़ी हुई थीं। सोनल मां ने समाज में शिक्षा के लिए अद्भुत काम किया। उन्होंने, व्यसन और नशे के अंधकार से समाज को निकाल कर नई रोशनी दी। उन्होंने कहा, Sonal Maa समाज को कुरीतियों से बचाने के लिए निरंतर काम करती रहीं। सौराष्ट्र की इस सनातन संत परंपरा में सोनल मां आधुनिक युग के लिए प्रकाश स्तंभ की तरह थीं।

उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा, उनकी मानवीय शिक्षाएं, उनकी तपस्या उनके व्यक्तित्व में झलकती है। उनके अद्भुत दैवीय आकर्षण की अनुभूति को आज भी जूनागढ़ और मढ़रा के सोनलधाम में जाकर महसूस किया जा सकता है।

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