नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समलैंगिक विवाह (Same-sex marriage) के मामले में दिए गए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही, समलैंगिक विवाह के समर्थन में दायर की गई सभी समीक्षा याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसले में कोई त्रुटि नहीं है और जो विचार व्यक्त किए गए हैं, वे कानून के अनुसार सही हैं। कोर्ट ने कहा कि इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप उचित नहीं है। यह मामला संविधान पीठ के द्वारा 17 अक्टूबर, 2023 को दिया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार किया गया था। कोर्ट ने कहा था कि यह संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है, और इसलिए समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी जा सकती है।
सरकार को दी गई थी जिम्मेदारी
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक और कानूनी अधिकार देने के लिए सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार किया था और इस संबंध में एक पैनल का गठन करने का आदेश दिया था।
अदालत ने कानून के तहत समलैंगिक साझेदारियों को स्वीकार किया था
यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायधीशों की बेंच ने समलैंगिक साझेदारियों को कानूनी तौर पर स्वीकार करने की वकालत की थी। न्यायधीशों ने यह भी कहा था कि LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भेदभाव-विरोधी कानून बनाने की जरूरत है।

