नई दिल्ली: भारत में रह रहे रोहिंग्या मुस्लिम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने साफ किया कि भारत में रहने का अधिकार केवल भारत के शहरियों को है। विदेशी नागरिकों के मामलों में Foreigners Act के तहत ही कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस और प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका पर विस्तृत सुनवाई 31 जुलाई तक के लिए टाल दी है।
इस याचिका में रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार में हो रहे कथित नरसंहार के चलते भारत में शरण देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने रोहिंग्या को शरणार्थी के रूप में मान्यता दी है, इसलिए भारत में उन्हें रहने की अनुमति दी जानी चाहिए।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत में निवास का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। रोहिंग्या, विदेशी नागरिक होने के कारण, भारतीय कानून के तहत शरण पाने के हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने उनके संभावित निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।