सेंट्रल डेस्क। आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस अपील को नकार दिया गया, जिसमें EVM पर सवाल उठाए गए थे और मतदान को दोबारा से बैलेट पेपर पर कराने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कड़े शब्दों ने इसकी निंदा की और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि आप जीत जाते है, तो ईवीएम ठीक है औऱ यदि आप हारते है, तो ईवीएम के साथ छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाते है।
मंगलवार, 26 नवंबर को शीर्ष अदालत ने वोटिंग मशीनों से जुड़े एक मामले में सुनवाई की। दरअसल चुनाव प्रचारक के ए पॉल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि आप जीतते है, तो ईवीएम अच्छे है और हारते है, तो ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की बात दोहराते है। पॉल द्वारा बैलेट पेपर चुनाव कराए जाने के न्यायिक आदेश की मांग की गई थी।
कोर्टरूम को बनाना चाहते है राजनीतिक अखाड़ा
जस्टिस विक्रम नाथ की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि क्या आप कोर्टरूम को राजनीतिक अखाड़ा बनाना चाहते है। इसके जवाब में पॉल ने कहा कि वह अदालत में कोई राजनीति नहीं कर रहे है। बल्कि कई देशों की यात्रा के बाद उन्हें पता चला कि दुनियाभर में लोकतंत्र में पेपर बैलेट के माध्यम से ही चुनाव कराए जा रहे है।
बैलेट पेपर से चुनाव प्रैक्टिकल नहीं, ईवीएम के अपने फायदे
संविधान दिवस के दिन चल रही अदालती कार्यवाही की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए पॉल ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर धन, शराब एवं शराब बांटते हुए पाए जाने वाले उम्मीदवार को कम से कम पांच साल के लिए अयोग्य ठहराएं। अदालत द्वारा अपने तर्क में कहा गया कि बैलेट पेपर की कमियां हम सभी को पता है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में, जहां 97 करोड़ मतदाता है, उम्मीदवारों की संख्या अत्याधिक है और मतदान केंद्रों की संख्या भी बड़ी है, वहां बैलेट पेपर से चुनाव प्रैक्टिकल नहीं है। ईवीएम के अपने फायदे है।
ईवीएम को न तो हैक किया जा सकता है, न ही छेड़छाड़
आगे जस्टिस नाथ ने कहा कि किसी संस्था या प्रणाली पर अंधा विश्वास करना गलत है और इससे प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है। जस्टिस नाथ ने कार्यवाही के दौरान कहा कि सितंबर 2023 में भारत के चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को आश्वास्त किया था कि ईवीएम को न तो हैक किया जा सकता है और न ही उससे छेड़छाड़ किया जा सकता है।
450 पन्नों के हलफनामे में चुनाव आयोग ने बताया था कि ईवीएम एक बार प्रोग्राम करने के बाद यह पूरी तरह से स्टैंड अलोन मशीन है। इसके बाद खंडपीठ द्वारा पॉल की याचिका को खारिज कर दिया गया।