नई दिल्ली/ कोलकाता : आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई एक महिला डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मामले की फिर से जांच कराने की मांग की गई है। पीड़िता के परिजनों ने मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए इसे 17 मार्च को सुनने का फैसला किया।
निचली अदालत का फैसला और मामले की गंभीरताआरजी कर अस्पताल में 9 अगस्त 2024 को एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की दुष्कर्म और हत्या की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस मामले में 20 जनवरी 2025 को सियालदह अदालत ने दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट के जज अनिरबन दास ने कहा था कि यह मामला दुर्लभतम अपराध नहीं है, लेकिन फिर भी पीड़िता के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा और 7 लाख रुपये अतिरिक्त दिए जाने का आदेश दिया गया।
क्या है यह जघन्य मामला
इस जघन्य अपराध के बारे में बात करें तो, 9 अगस्त 2024 को कोलकाता स्थित आरजी कर अस्पताल में एक स्नातकोत्तर प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की वारदात घटी। सुरक्षाकर्मी संजय रॉय ने ही अस्पताल के सेमिनार कक्ष में इस अपराध को अंजाम दिया था और एक दिन बाद 10 अगस्त को उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। न्यायालय ने उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया, जिसमें हत्या और दुष्कर्म शामिल हैं। अदालत के फैसले में यह भी कहा गया कि इस मामले में न्यूनतम सजा आजीवन कारावास है, लेकिन अधिकतम सजा मौत की हो सकती है।
इस घटना ने पूरे देश में गुस्से की लहर पैदा की थी और कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। महिला सुरक्षा के मुद्दे पर यह मामला एक और उदाहरण बन गया था, जिससे समग्र समाज में आक्रोश फैल गया था।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका और सुनवाई का फैसला
इस मामले को लेकर पीड़िता के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मामले की फिर से जांच कराने की अपील की थी। उनका कहना था कि इस घृणित अपराध में और गहरे तथ्यों की पड़ताल की आवश्यकता है। इसके साथ ही, पीड़ित परिवार ने मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए याचिका पर 17 मार्च को सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
न्याय की प्रक्रिया और भविष्य की दिशा
यह मामला अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, क्योंकि पीड़िता के परिजनों ने न्याय की प्रक्रिया में पुनः जांच की आवश्यकता महसूस की है। कोर्ट द्वारा दी गई सजा और मुआवजा से कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन परिवार का यह मानना है कि मामले की गहरी जांच होनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी को पूरी तरह से सजा मिल सके और इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
समाज में महिलाओं के प्रति अपराध की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर यह मामला कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा के सवालों को फिर से उजागर करता है। ऐसे मामलों में न्याय की प्रक्रिया को तेज और निष्पक्ष बनाए रखना आवश्यक है, ताकि पीड़िता के परिवार को संतोषजनक न्याय मिल सके।
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