हेल्थ डेस्क। जमशेदपुर : दीपावली के मौके पर लोग खूब पटाखा-अनार छोड़ते हैं। ऐसे में कई बार लापरवाही भी कर जाते हैं, जिससे झुलसने का खतरा बना रहा है। हर साल देखा जाता है कि दीपावली के मौके पर पटाखे से झुलसने वालों की संख्या बढ़ जाती है। कई बार ये जानलेवा भी हो जाती है। ऐसे में इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। खासकर आंखों और त्वचा को बचाने की जरूरत होती है। इसलिए पटाखे, अनार छुड़ाते समय बड़ी डंडी का इस्तेमाल करें। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ व त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह है कि प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पटाखे-अनार छुड़ाने से बचें। अगर पटाखे व अनार छोड़े तो सावधानी जरूरी है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव ठाकुर ने कहा?
– पटाखे छोड़ने से वायु प्रदूषित होती है। इससे एलर्जी की समस्या होती है।
– एग्जिमा के मरीज बारूद को हाथ से न छुएं।
– पटाखों व अनार में भरे बारूद से हाथों में रिएक्शन हो सकता है। इससे हाथ जल सकते है।
– पटाखों व अनार छोड़ते समय जो खुशबू निकलती है। इससे एलर्जी हो सकती है।
– पटाखों व अनार छोड़ते समय हाथ-पैर और चेहरे पर चिंगारी पड़ने का खतरा अधिक होता है। इससे त्वचा जल सकती है।
– छोटे बच्चों को पटाखों-अनार से दूर रखें। जलने से कई प्रकार की गंभीर समस्या हो सकती है।
जलने पर करें ये उपाय
– त्वचा के जले हिस्से में टूथ पेस्ट न लगाएं।
– बर्फ का टुकड़ा या ठंडे पानी में जले हिस्से को रखना चाहिए।
– त्वचा के जले हिस्से पर सोफ्रामाइसिन क्रीम दिन में दो से तीन बार लगाएं।
– जले हिस्से में कपड़ा चिपक गया है तो उसे जबरदस्ती न छुड़ाएं। तुरंत डाक्टर को दिखाएं।
– दर्द होने पर पेन किलर ले सकते हैं। लेकिन मरीज को अस्पताल ले जाकर उचित चिकित्सा करवायें।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सीबीपी सिंह ने कहा?
– पटाखों-अनार छोड़ते से वायु प्रदूषित होती है। इसका असर आंखों पर पड़ता है।
– पटाखों-अनार के धुएं से आंखों में लालपन व जलन की समस्या हो सकती है।
– पटाखे-अनार छुड़ाते समय जरा सी चिंगारी आंखों में पड़ने से पुतली जल सकती है।
– पटाखों से लगने वाली चोट आंखों में घाव, रक्त के थक्के बनने या पुतली को नुकसान हो सकता है।
– बोतल में राकेट जलाते वक्त आंख चोटिल होने का खतरा रहता है।
– सड़क पर पटाखे-अनार छ़ुड़ाते वक्त ध्यान दें कि कोई आसपास तो नहीं है।
– बच्चे अकेले पटाखे-अनार न छोड़े।
जलने पर ये करें उपाए
– अगर पटाखा-अनार छोड़ते वक्त आंख चपेट में आ जाए तो सबसे पहले साफ पानी से धो लें।
– आंख के ऊपर बर्फ रख लें। इससे ठंडक पहुंचेगी और थोड़ा राहत मिलेगी।
– एंटी बायोटिक ड्राप डाल सकते हैं, लेकिन घी या अन्य कोई क्रीम न लगाएं।
– नेत्र रोग विशेषज्ञ को तुरंत दिखाएं। देरी करने पर समस्या गंभीर हो सकती है।
टीएमएच के पूर्व ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ. केपी दूबे ने कहा?
– कानों के लिए 60 डेसीबल तक की आवाज सामान्य होती है। इससे अधिक आवाज कान की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। दिवाली पर चलने वाले पटाखों में 110 डेसीबल तक की आवाज होती है। ऐसे में इतनी आवाज कान के पर्दे फाड़ने के लिए काफी होती है। कान का पर्दा बेहद नाजुक होता है, इतनी आवाज वह बर्दाश्त नहीं कर सकता। खासतौर पर बच्चों में यह समस्या विकट हो सकती है। पटाखा यदि बहुत ज्यादा नजदीक फट जाए, तो उससे भी कान में सीटी बजने का अनुभव होता है। यह कान की क्षमता से अधिक ध्वनि के पहुंचने के कारण होता हैं।