Home » Mahakumbh 2025: तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई ने संगम स्नान किया, परमार्थ आश्रम में आशीर्वाद प्राप्त किया

Mahakumbh 2025: तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई ने संगम स्नान किया, परमार्थ आश्रम में आशीर्वाद प्राप्त किया

अन्नामलाई ने इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण अनुभव बताया और कहा कि प्रयागराज भारत की सभ्यता की शाश्वत आत्मा का प्रतीक है, जो हजारों वर्षों से समृद्ध हो रही है।

by Anurag Ranjan
Mahakumbh 2025: तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख अन्नामलाई ने संगम स्नान किया, परमार्थ आश्रम में आशीर्वाद प्राप्त किया
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

प्रयागराज : तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई रविवार को प्रयागराज पहुंचे और महाकुंभ मेले के दौरान संगम में डुबकी लगाई। उन्होंने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान किया, जो उनके लिए एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव था। इस अवसर पर उन्होंने अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि महाकुंभ में भाग लेना सौभाग्य की बात है। अन्नामलाई ने महाकुंभ की व्यवस्था की सराहना करते हुए इसे दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन में से एक बताया।

परमार्थ निकेतन आश्रम पहुंचे अन्नामलाई

संगम में स्नान के बाद अन्नामलाई अरैल स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम गए, जहां उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान, उन्होंने परमार्थ त्रिवेणी पुष्प प्रांगण में रुद्राक्ष के पौधे का रोपण किया। यह पौधा इस पवित्र भूमि पर आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का प्रतीक माना जाएगा और भारतीय धार्मिक परंपराओं और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने की महाकुंभ मेले की सराहना

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने महाकुंभ मेले की व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि यह अत्यंत उत्कृष्ट और अद्वितीय है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक सुगम और सुरक्षित अनुभव प्रदान करती है। उन्होंने प्रयागराज के संगम को एक भौतिक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बताया, जहां भक्त अपनी आस्था और विश्वास के साथ आकर पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

भारत की सभ्यता की शाश्वत आत्मा का प्रतीक है प्रयागराज

साध्वी भगवती सरस्वती ने भी महाकुंभ के माध्यम से शांति, समृद्धि और एकता का संदेश फैलाने की बात की। अन्नामलाई ने इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण अनुभव बताया और कहा कि प्रयागराज भारत की सभ्यता की शाश्वत आत्मा का प्रतीक है, जो हजारों वर्षों से समृद्ध हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस पवित्र भूमि पर आकर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।

Read Also: महाशिवरात्रि : एक पावन पर्व

Related Articles