टेक डेस्क : टेक महिंद्रा द्वारा प्रोजेक्ट इंडस के माध्यम से भारत में बड़े भाषा मॉडल का विकास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य इंडिक भाषाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सुधारना है। इस परियोजना से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा, अनुवाद, और अन्य कार्यों में इस्तेमाल के लिए एक शक्तिशाली और कुशल भाषा मॉडल विकसित किया जा सकता है, जो भारत को एआई (Artificial Intelligence) क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने में मदद करेगा।
मुख्य रूप से अंग्रेजी डेटासेट पर किया गया है प्रशिक्षित
ओपनएआई द्वारा जीपीटी मॉडल जैसे बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) को उनकी बहुभाषी क्षमताओं के बावजूद, मुख्य रूप से अंग्रेजी डेटासेट पर प्रशिक्षित किया गया है, जो इंडिक भाषाओं में सामग्री को समझने और उत्पन्न करने में उनकी दक्षता को सीमित करता है। इसलिए, एक ओपन-सोर्स इंडिक एलएलएम भारत के लिए बेहद फायदेमंद होगा।
क्या होता है एलएलएम?
लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल है जो पाठ उत्पन्न करने, भाषाओं का अनुवाद, प्रश्नों का उत्तर देने और अन्य कार्यों को करने में सक्षम होते हैं। वे बड़ी मात्रा में टेक्स्ट डेटा पर प्रशिक्षित होते हैं, और वे मानव-लिखित पाठ के समान पाठ उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। एलएलएम का उपयोग कई अलग-अलग अनुप्रयोगों में किया जाता है, जिनमें अनुवाद, सारांश, प्रश्न उत्तर और रचनात्मक पाठ उत्पन्न करना शामिल है।
एआई के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति
एलएलएम अभी भी विकास के दौर में हैं। हालांकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओपनएआई द्वारा जीपीटी मॉडल जैसे बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) को उनकी बहुभाषी क्षमताओं के बावजूद, मुख्य रूप से अंग्रेजी डेटासेट पर प्रशिक्षित किया गया है। यह इंडिक भाषाओं में सामग्री को समझने और उत्पन्न करने में उनकी दक्षता को नियंत्रित करता है।
प्रोजेक्ट इंडस क्या है?
प्रोजेक्ट इंडस एक ओपन-सोर्स परियोजना है। इसका उद्देश्य एक इंडिक-आधारित एलएलएम विकसित करना है जो अंग्रेजी के अलावा अन्य इंडिक भाषाओं में भी कुशल हो। यह परियोजना भारतीय भाषाओं के लिए एलएलएम तक पहुंच को बढ़ावा देगी और इन भाषाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुप्रयोगों के विकास को बढ़ावा देगी।
क्या है इस प्रोजेक्ट का महत्व
प्रोजेक्ट इंडस से इंडिक भाषाओं में पाठ उत्पन्न करने और समझने की क्षमता में सुधार होगा। यह शिक्षा, अनुवाद, और अन्य क्षेत्रों में उपयोगी होगा। प्रोजेक्ट इंडस से इंडिक भाषाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अनुप्रयोगों के विकास में सुधार होगा। यह स्वास्थ्य देखभाल, वित्त, और अन्य क्षेत्रों में उपयोगी होगा। यह भारतीय भाषाओं में एआई अनुसंधान को बढ़ावा देगा और भारत को एआई क्षेत्र में लीड करने में मदद करेगा।
प्रोजेक्ट इंडस का क्या है वर्तमान स्वरूप?
प्रोजेक्ट इंडस अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, लेकिन यह भारतीय भाषाओं के लिए एलएलएम तक पहुंच को बढ़ावा देने और इन भाषाओं में AI अनुप्रयोगों के विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और भविष्य में कई लाभ प्रदान करने की क्षमता रखता है।
प्रोजेक्ट इंडस से लाभ
प्रोजेक्ट इंडस से छात्रों को अपनी मातृभाषा में पाठ को समझने और उत्पन्न करने में मदद मिलेगी। यह शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा। प्रोजेक्ट इंडस से अनुवादक को अधिक सटीक और कुशल अनुवाद उत्पन्न करने में मदद मिलेगी। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और संचार को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसकी मदद से AI अनुसंधानकर्ताओं को भारतीय भाषाओं में नए अनुप्रयोगों को विकसित करने में मदद मिलेगी।
दुनिया की 25% आबादी को मिल सकेगी सुविधा
टेक महिंद्रा के प्रमुख सीपी गुरनानी के अनुसार, यह मॉडल सबसे बड़ा इंडिक एलएलएम होगा और संभवतः दुनिया की 25% आबादी को सेवा प्रदान कर सकता है। हालांकि टेक महिंद्रा ने परियोजना से जुड़ी लागत का खुलासा नहीं किया है। टेक महिंद्रा के ग्लोबल हेड-मेकर्स लैब निखिल मल्होत्रा ने बताया कि लक्ष्य 7 बिलियन पैरामीटर एलएलएम का निर्माण शुरू करना है।
शुरुआत में 40 अलग-अलग हिंदी बोलियां होंगी शामिल
मॉडल शुरू में 40 अलग-अलग हिंदी बोलियों का समर्थन (Support) करेगा। बाद में और अधिक भाषाएं और बोलियां इसमें जोड़ी जाएंगी। टेक महिंद्रा के मुताबिक भाशिनी और एआई4 भारत जैसे इंडिक सूट पर बहुत काम किया गया है, लेकिन एक फाउंडेशन मॉडल अभी भी विकसित करने की जरूरत है। जैसे-जैसे मॉडल का विकास किया जा रहा है, टेक महिंद्रा की ओर से लगातार सुधार किया जा रहा है। मॉडल के इंटरफ़ेस में ध्वनि और पाठ्य जानकारी हो सकती है, लेकिन अभी तक चैट इंटरफ़ेस को शामिल करने पर विचार नहीं किया गया है।