Home » The Chandrayaan-3 mission: 13 जुलाई को लॉन्च हो सकता है चंद्रयान- 3, लॉन्चिंग की तैयारी शुरू..

The Chandrayaan-3 mission: 13 जुलाई को लॉन्च हो सकता है चंद्रयान- 3, लॉन्चिंग की तैयारी शुरू..

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

बंगलुरू: भारतीय अनुसंधान संगठन ( ISRO ) द्वारा एक बड़ी घोषणा की गई है। लंबे समय से प्रतीक्षित Chandrayan-3 की लॉन्चिंग की आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। ISRO के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि 13 जुलाई 2023 को भारतीय समयानुसार 2:30 बजे चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जा सकता है।

क्या हैं Chandrayan-3 की विशेषता:

Chandrayan-3 का मकसद चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित पहुंचने व लैंड करने पर है। ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि, (Chandrayan-3) यह सफलता अंतरिक्ष के दुनिया भारत की एक और नई कामयाबी होगी

अधूरे मिशन को पूरा करेगा Chandrayan-3:

ISRO( भारतीय अनुसंधान संगठन) के अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले चंद्रयान 2 के साथ भी यह प्रयास किए गए थे, परंतु वह अंतिम चरण में विफल रहा था। चंद्रयान 2 का लैंडर पृथ्वी की सतह से टकराने के बाद उसने पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से अपना संपर्क तोड़ दिया था। अतः चंद्रयान-2 के अधूरे मिशन को पूरा करने हेतु इसे (Chandrayan-3) को भेजा जा रहा हैं। जानकारी के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के बाद इससे रोवर निकलेगा तथा यह चंद्रमा की सतह पर चक्कर लगाएगा।

हालंकि ISRO के अनुसार लॉन्च की तिथि अभी पूरी तरह तय नहीं की गई हैं, परंतु संभवतः 12 से 19 जुलाई के बीच इसे लॉन्च किया जा सकता हैं। लॉन्चिंग से पहले इसका परीक्षण किया जाएगा। फिल्हाल अभी यान के एकीकरण का कार्य जारी हैं जिसमें लगभग 2-3 दिन लगने की संभावना हैं, जिसके पश्चात बताई गई।

READ ALSO : चिप हब बनने की ओर बढ़ा भारत : देश में पैदा होने जा रही 80 हजार नयी नाैकारियां, माइक्रोन के ऐलान से चीन परेशान

2047 तक भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी करने का प्रयास

ISRO के प्रमुख की मानें तो 2047 तक राष्ट्र को अंतरिक्ष के क्षेत्र में अव्वल करने का प्रयास जारी हैं। और उसी कड़ी में जुड़ी हैं चंद्रयान-3 की सफलता। यह पहल भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में अंतमनिर्भर बनाने में भी सहायक सिद्ध होगी।

कैसी है इसकी संरचना

चंद्रयान-3(Chandrayan-3) के लैंडर में चार पेलोड हैं, जबकि छह चक्के वाले रोवर में दो पेलोड हैं। इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल में भी एक स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री पेलोड है जो चंद्रमा के कक्ष से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवमिति माप का अध्ययन करेगा। लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे पेलोड को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे कि वैज्ञानिकों को उनकी मदद से पृथ्वी के इकलौते प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिले। प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर और रोवर को चांद के कक्ष के 100 किलोमीटर तक ले जाएगा।

विस्तारपूर्वक जानें क्या हैं Chandrayan-3

ISRO द्वारा लॉन्च किया जाने वाला यह नया यान/ अनुसंधान ISRO के पिछले प्रयोग चंद्रयान-2 का ही अगला प्रयोग हैं। जिसका मकसद पिछली बार हुई चूंको और अंतिम चरण में हुई विफलता को सफल करना हैं। जानकारी के अनुसार यह (Chandrayan-3) पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह की सतह पर लॉन्च करेगा तथा वहां सफल लैंडिंग के बाद यान रोवर निकलेगा तथा चंद्रमा की सतह पर चक्कर लगाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।

Related Articles