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निजी विवि पर आमने-सामने सरकार व राजभवन: राज्यपाल ने जैन विश्वविद्यालय विधेयक को लौटाया, पूछा- पहले जिन निजी विश्वविद्यालयों की जांच कराई, उसकी रिपोर्ट का क्या हुआ ये बताएं

by Rakesh Pandey
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रांची : हाल के वर्षों में झारखंड में धड़ल्ले से निजी विश्वविद्यालय खुले हैं। इसमें से अधिकतर विवि सरकार की शर्तो को पूरा तक नहीं कर रहे हैं। इसके बाद भी हर साल नए विवि खोलने की अनुमति प्रदान की जा रही है। अब राज्य में निजी विश्वविद्यालयों को खोलने पर राजभवन और राज्य सरकार आमने सामने आ गए हैं। राजभवन ने झारखंड में नए निजी विश्वविद्यालयों को अनुमति देने की फाइल फिलहाल रोक दी है। राजभवन में विधानसभा के बजट सत्र में पास हुए जैन विश्वविद्यालय विधेयक को लौटा दिया है। राज्यपाल ने विधेयक पर अपनी आपत्ति जताते हुए इसे मुख्य सचिव और विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया है।

राजभवन ने सरकार से पूछा है कि झारखंड में पहले से कई निजी विश्वविद्यालय चल रहे हैं। वे शर्तों को पूरा कर रहे हैं या नहीं, इसके जांच का क्या हुआ? राजभवन ने विधेयक पर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो से भी प्रश्न पूछा है कि उनके द्वारा निजी विवि की जांच के लिए बनायी गयी विधानसभा की कमेटी का क्या हुआ? अगर जांच हुई, तो क्या निष्कर्ष निकला और इसके फाइंडिंग क्या हैं। पहले से चल रहे निजी विश्वविद्यालयों की खामियों को दूर किए बिना धड़ल्ले से नए विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति प्रदान करना करने पर राजभवन को आपत्ति है।

राज्यपाल ने इन विधेयक के इन बिंदुओं पर उठाई है आपत्ति: :

निजी विश्वविद्यालयों को लेकर राज्यपाल राधाकृष्णन की सबसे बड़ी आपत्ति विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने या न करने के जांच को लेकर है। उन्होंने पूछा है कि उच्च शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना और अन्य कमियों की जांच के लिए उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस जांच में क्या तथ्य सामने आए, हमें नहीं पता। कमेटी की रिपोर्ट क्या है। उस पर क्या कार्रवाई हुई। इसकी जानकारी किसी को नहीं है।

राज्यपाल ने सरकार को इस साल लिखा था दो पत्र

राज्यपाल ने 16 जून व 13 जुलाई को सरकार को लिखे पत्र का भी जिक्र किया है। इन दो पत्रों के माध्यम से राजभवन ने राज्य सरकार से जांच रिपोर्ट और कार्रवाई की जानकारी मांगी थी। इसके अलावा राजभवन ने विधेयक के हिंदी-अंग्रेजी रुपांतरण की त्रुटियों और कुछ अन्य तकनीकी पहलुओं पर भी आपत्ति जताई है। सरकार ने अभी तक राजभवन को जांच से संबंधित कोई भी रिपोर्ट नहीं दी है।

इसी साल 21 मार्च को पास हुआ था जैन विवि बिल:

राज्य सरकार ने 21 मार्च 2023 को विधानसभा से जैन विश्वविद्यालय और दुर्गा सोरेन विश्वविद्यालय गठन संबंधी विधेयक को पास कराया था। मिली जानकारी के अनुसार दुर्गा सोरेन विश्वविद्यालय के गठन संबंधी विधेयक सरकार ने अभी तक राजभवन को नहीं भेजा है।

आरोप… निजी विवि शर्तों का नहीं कर रहे पालन:

निजी विश्वविद्यालयों पर आरोप है कि वे सरकार व यूजीसी के शर्तों का अनुपालन किए बिना ही संचालित हो रहे हैं। उनपर आधारभूत संरचना की कमी, किराये की बिल्डिंग में संचालन, ज्यादा फीस व अपने परिवार के लोगों को ही बिना योग्यता कुलपति व प्रतिकुलपति, रजिस्ट्रार बनाने का आरोप है। इसकी जांच के लिए सरकार ने उच्च शिक्षा निदेशक गरिमा सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति बनाई थी। इसमें शिक्षाविदों को शामिल किया गया था। समिति ने विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। मिली जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट में कई बड़ी गड़बड़ियों की जानकारी दी गयी है। इसके बावजूद अब तक किसी भी निजी यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई नहीं हुई है। राजभवन इसी से नाराज है।

विधानसभा अध्यक्ष ने भी बनाई थी जांच कमेटी:

जैन विवि बिल को बात करें तो इसका कई बार विरोध होता रहा है। इससे पहले शीतकालीन सत्र में विधायकों की आपत्ति के बाद सरकार ने विधेयक को वापस ले लिया था। लेकिन बजट सत्र में फिर इसे पास करा लिया गया। उस समय भी हंगामा हुआ। हंगामे के बाद स्पीकर ने 22 मार्च 2023 को प्रो स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। इसमें विनोद सिंह, केदार हाजरा, लंबोदर महतो और रामचंद्र सिंह को रखा गया था। कमेटी की एक बैठक हुई। स्टीफन मरांडी का स्वास्थ्य खराब रहने की वजह से कमेटी की न तो दोबारा बैठक हुई और न ही कोई निष्कर्ष सामने आया। इस कमेटी के इस प्रकार निष्यक्रिय हो जाने पर भी सवाल उठते रहे हैं।

कोल्हान में कई निजी विश्वविद्यालय अलग-अलग मानकों का नहीं कर रहे पालन:

झारखंड में पिछले 10 वर्षों में कई निजी विश्वविद्यालय खुले हैं। अकेले कोल्हान प्रमंडल में चार निजी विवि खुल हैं। कई विश्वविद्यालय अलग-अलग मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। किसी में एक ही परिवार के लोग पदाधिकारी बने बैठे हैं। कोई 3 साल से B.Ed के भवन में संचालित हो रहा है। किसी के पास छात्रावास की सुविधा उपलब्ध नहीं है। किसी में मानक के अनुसार योग्य शिक्षकों की भारी कमी है। इसके बावजूद इन विश्वविद्यालयों में दाखिले की अनुमति दी गई है। विश्वविद्यालय अलग-अलग पाठ्यक्रम का संचालन कर रहे हैं। कई बार कुछ विश्वविद्यालय कोर्स के लिए यूजीसी की ओर से निर्धारित शर्तों तक का उल्लंघन कर रहे हैं।

कोट
निजी विश्वविद्यालय मानकों के अनुसार ही संचालित हो सकते हैं। नियमों के उल्लंघन की जानकारी पर कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।
गरिमा सिंह, निदेशक, उच्च शिक्षा, झारखंड सरकार

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