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कस्तूरबा गांधी व झारखंड बालिका विद्यालयों में नामांकन का रास्ता साफ, जिला स्तरीय समिति की बैठक में मिली स्वीकृति

by Vivek Sharma
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रांची: रांची के समाहरणालय में शुक्रवार को उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई है। जिसमें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में कक्षा 6 से 9 तक के नामांकन को लेकर जिला स्तरीय समिति की बैठक में चर्चा की गई। बैठक में छात्राओं के नामांकन प्रक्रिया, विद्यालयों की आधारभूत सुविधाएं, सुरक्षा व्यवस्था तथा अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस बैठक में सांसद व विधायक प्रतिनिधि, जिला शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज, सभी बीईईओ, वार्डन तथा अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित रहे।

इतने बच्चों के नामांकन की स्वीकृति 

बैठक में शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कक्षा 6 के लिए 950, कक्षा 7 के लिए 34, कक्षा 8 के लिए 65 और कक्षा 9 के लिए 87 नामांकनों की स्वीकृति दी गई। वहीं झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय में कक्षा 6 में 250, कक्षा 7 में 17, कक्षा 8 में 4 और कक्षा 9 में 6 नामांकन की मंजूरी दी गई।

चयनित छात्राओं की हुई अनुशंसा

उपायुक्त ने छात्राओं के चयन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु सभी चयन आधारों की समीक्षा करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रक्रिया नियमानुसार एवं निष्पक्ष रूप से पूरी की जाए। बैठक में समिति द्वारा चयनित छात्राओं की अनुशंसा सर्वसम्मति से की गई। उपायुक्त ने बालिका विद्यालयों में सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने निर्देश दिए कि किसी भी अनधिकृत व्यक्ति का विद्यालय परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए। छात्रावासों की चारदीवारी कराई जाए तथा समय-समय पर मेडिकल चेकअप कैंप का आयोजन भी सुनिश्चित हो।

स्कूलों में हो पेयजल की व्यवस्था

उपायुक्त ने पेयजल संकट को लेकर गहन समीक्षा की और गर्मी को देखते हुए सभी विद्यालयों में पर्याप्त पेयजल व्यवस्था, रसोईघर, शौचालय तथा कक्षाओं की मरम्मति एवं निर्माण के लिए डीएमएफटी फंड के उपयोग हेतु निर्देशित किया। उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया कि सभी विद्यालयों से सूची प्राप्त कर कार्य योजना तैयार करें।

ड्रॉप आउट बच्चों पर विशेष ध्यान 

उपायुक्त ने जिले में ड्रॉप आउट बच्चों की स्थिति पर भी चिंता जताई और शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें पुनः स्कूलों में लाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

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