रांची : झारखंड में नक्सलवाद का गढ़ आज भी गिरिडीह और पश्चिम बंगाल से जुड़ा हुआ है। राज्य में सक्रिय 59 इनामी नक्सलियों में से आधे से अधिक गिरिडीह और बंगाल के रहने वाले हैं। गत तीन दिनों में मुठभेड़ में मौत के बाद राज्य में इनामी नक्सलियों की संख्या घटकर 58 रह गई है। गत रात को भी एक नक्सली को मार गिराया गया है। इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि पारसनाथ और पीरटांड़ जैसे इलाकों में अब भी नक्सली प्रभाव बरकरार है। इनामी नक्सलियों की सूची में गिरिडीह और बंगाल सबसे आगे है।

एक करोड़ के इनामी नक्सली
झारखंड में एक करोड़ रुपये इनामी तीन नक्सली हैं —
मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर (गिरिडीह, पीरटांड़)
अनल दा उर्फ तूफान (गिरिडीह, पीरटांड़)
असीम मंडल उर्फ आकाश (मिदनापुर, पश्चिम बंगाल)
25 लाख के इनामी नक्सली
रघुनाथ हेम्ब्रम उर्फ निर्भय (गिरिडीह)
अजय महतो उर्फ टाइगर (गिरिडीह)
15 लाख के इनामी नक्सली
मदन महतो उर्फ शंकर (मिदनापुर, बंगाल)
संजय महतो उर्फ संतोष (गिरिडीह, पीरटांड़)
बेला सरकार उर्फ पंचमी (मुर्शिदाबाद, बंगाल)
5 लाख से कम के इनामी
पुष्पा महतो उर्फ शकुंतला (झाड़ग्राम, बंगाल)
समीर महतो उर्फ मंगल (लालगढ़, बंगाल)

दो लाख के 6 और एक लाख के 5 इनामी नक्सली — अधिकांश गिरिडीह से
कभी नक्सलियों का मजबूत गढ़ रहे पारसनाथ, पीरटांड़ और झुमरा जैसे इलाके अब कमज़ोर पड़ते नजर आ रहे हैं। एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस की गिरफ्तारी और विवेक की मुठभेड़ में मौत के बाद नक्सल नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है।
पिछले महीने मारे गए नक्सलियों में शामिल
विवेक (एक करोड़ का इनामी)
अरविंद, साहेब राम मांझी
आज को लेकर कुल 9 नक्सली मारे गए, जिससे झुमरा चैप्टर लगभग खत्म हो गया।
विवेक की पत्नी जया, जो खुद भी एक सक्रिय नक्सली थी, की धनबाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
इतिहास : कैसे गिरिडीह बना नक्सलवाद की जमीन
- 80 के दशक में नक्सल उभार
-1980 के दशक में गिरिडीह और चतरा जैसे पिछड़े और वनाच्छादित इलाकों में नक्सलियों ने लालखंडी संगठन के माध्यम से जनसमर्थन हासिल किया। नक्सलियों ने गांवों में समानांतर सरकारें चलानी शुरू कीं। जमींदारों के खिलाफ बगावत कर भूमि आंदोलन को हवा दी।
पारसनाथ से शुरू होकर नक्सलियों ने हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, गढ़वा, लातेहार, लोहरदगा, सिमडेगा और चाईबासा तक नेटवर्क फैलाया। यह कॉरिडोर अब तक छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल के नक्सलियों की झारखंड में आवाजाही का मार्ग रहा है।