पटना : बिहार में शराब की बिक्री पर रोक है। इसके बावजूद शराब से जुड़ी घटनाएं सामने आती रहती हैं। चोरी-छिपे और ब्लैक मार्केटिंग से भी लोग शराब खरीद कर पी रहे हैं। बिहार में लगातार जहरीली शराब पीने से मौत का मामला सामने आ रहा है। इसको लेकर राज्य सरकार और प्रशासन दोनों सख्त है, फिर भी पुलिस की आंख में धूल झोंककर लोग अवैध शराब का तस्करी के साथ ही सेवन भी कर रहे हैं। ताजा मामला बिहार के सीवान और छपरा से आया है। यहां अभी तक 16 गांवों में जहरीली शराब पीने से 32 लोगों की मौत हो चुकी है।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब का धंधा तेजी से चल लहा है। इसके कारण इसके गंभीर परिणाम समाज को भुगतने पड़ रहे हैं।
सूत्रों के उनुसार मृतकों में दो महिलाएं सहित 28 लोग सीवान जिले से हैं, जबकि 4 लोगों की मौत सारण जिले में हुई है। यह घटना तब हुई, जब स्थानीय बाजार में बिक रही स्प्रिट से बनी शराब का सेवन किया गया। हालांकि पुलिस ने इनकी मौत के कारण की पुष्टि नहीं की है, लेकिन मृतकों के परिजनों का कहना है कि उन लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है। 50 से अधिक लोगों को गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
गंभीर स्थिति के मरीज
अस्पताल में रात भर एंबुलेंस का आना-जाना लगा रहा। कई मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिनमें से 11 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है। सीवान सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों में से कुछ को पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर किया गया है।
जांच और गिरफ्तारी
स्थानीय पुलिस ने दो तस्करों सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया है, और इस मामले की जांच के लिए मद्य निषेध के एसआईटी एएसपी संजय झा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई है। इसके साथ ही मशरख थानेदार सहित तीन पुलिस अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है और उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया गया है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि जहरीली शराब कहां से आई और किसने इसे बेचा था।
जहरीली शराब का कारण
डॉ. नवनीत कुमार ने बताया कि मरीजों को बेचैनी और आंखों से धुंधला दिखाई देने जैसी समस्याएं हो रही हैं, जो शराब में मिले खतरनाक रसायनों जैसे मेथनॉल और फॉरमल्डिहाइड के कारण हो रहा है। ये रसायन न केवल आंखों की रोशनी छीन सकते हैं, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
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