नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिहार पर ध्यान देने की लगातार गुहार लगाई जा रही है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने हाल ही में एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अपनी मांग दोहराइ हैं।
हालांकि केंद्र सरकार ने पहले ही हिसाब कर दिया है कि मौजूदा स्थिति में किसी भी राज्य को नए सिरे से विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर क्या होता है विशेष राज्य और किस प्रकार किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं इस रिपोर्ट में।
क्या होता है विशेष राज्य?
भारत, एक अनूठा और विविधाओं वाला देश है। यहां विभिन्न क्षेत्रों में विकास की स्थितियों में अंतर है। इस कारण सरकार ने कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया है। विशेष राज्य एक ऐसा राज्य होता है, जिसे भारत सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया जाता है। इस दर्जे के तहत, राज्य को केंद्र सरकार से अधिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है, जो भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। इन राज्यों को विकास के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और सेवाओं को बढ़ाने में मदद करने के लिए यह दर्जा दिया जाता है।
भारत में कितने राज्यों को प्राप्त है विशेष राज्य का दर्जा
भारत में वर्तमान में 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है। ये राज्य हैं असम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना।
विशेष दर्जा का महत्व
विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को प्रदान किया जाता है, जो विकास के क्षेत्र में पिछड़े हुए हैं। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता का स्रोत बनता है, जिससे वे अपनी सामाजिक सुधार और विकास कार्यों को पूर्ण कर सकते हैं। विशेष राज्यों को विकास के लिए बुनियादी ढांचे और सेवाएं प्रदान करने में मदद करने के लिए यह दर्जा दिया जाता है।
विशेष राज्यों की आवश्यकता
विशेष राज्यों की आवश्यकता राज्यों के सामने खड़ी चुनौतियों के कारण होती है, जैसे कि जलवायु, भौगोलिक स्थिति और सामाजिक संरचना। इन राज्यों को विकास के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और समर्थन की आवश्यकता होती है, ताकि वे अपने नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक जीवन को सुधार सकें।
कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा
राज्य सरकार को पहले एक प्रस्तावना पत्र तैयार करना होता है। इसमें व्यक्त किया जाता है कि राज्य क्यों विशेष दर्जा के लायक है और वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। राज्य सरकार प्रस्तावना पत्र के साथ केंद्र सरकार को आवेदन करती है, जिसमें वह राज्य के विकास की आवश्यकताओं को स्पष्टता से प्रस्तुत करता है।
केंद्र सरकार आवेदन की समीक्षा करती है और राज्य के विकास के समर्थन के आधार पर फैसला करती है। अगर केंद्र सरकार राज्य को विशेष दर्जा देने के लायक मानती है, तो विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है। इसके बाद विशेष राज्य को वित्तीय सहायता और समर्थन प्राप्त होता है, जो उसके विकास के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार के समर्थन और गुणवत्ता के मानकों का पालन किया जाता है, ताकि समाज में समानता और विकास की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके।
किन क्राइटेरिया का करना होता है पालन
विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए किसी राज्य को विशेष मानदंडों का पालन करना होता है। ये मानदंड उस राज्य के भौगोलिक, आर्थिक, और सामाजिक परिस्थितियों को मापने में मदद करते हैं। पहले राज्य का क्षेत्रफल न्यूनतम होना चाहिए, जिससे विशेष राज्य के दर्जे की संभावना बढ़ जाती है। राज्य की जनसंख्या कम होनी चाहिए, जो सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। राज्य की प्रति व्यक्ति आय कम होनी चाहिए, जिससे आर्थिक असमर्थता की स्थिति बनती है।
इसके साथ ही राज्य की उत्पादकता कम होनी चाहिए, जिससे विशेष राज्य के विकास की आवश्यकता में यह प्राथमिकता प्राप्त करती है। अंत में राज्य में भौगोलिक या अन्य रूप से विकास में बाधाएं होनी चाहिए, जैसे कि प्राकृतिक आपदाएं या असंतुलनपूर्ण सामाजिक संरचना, जो विशेष राज्य को सरकारी सहायता की आवश्यकता को स्थापित करती हैं।
बिहार की मांग में फंसा है पेंच
भूगोल के विशेषज्ञ शारदा शरण पांडे की माने तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में बहुत सारे तकनीकी पेंच हैं। अगर राज्य में असमान विकास के मापदंड को छोड़ दें तो अधिकांश पैमानों पर यह इस श्रेणी में आने वाले दूसरे छोटे राज्यों से काफी बेहतर स्थिति में है। यही कारण है कि गठबंधन में साथ रहने के बावजूद केंद्र सरकार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विशेष राज्य के दर्जा वाली मांग स्वीकार नहीं की। जदयू ने विशेष राज्य का दर्जे दिलाने की मांग को अपने प्रमुख एजेंडे में शामिल किया था।