धनबाद : इस धनतेरस में धनबाद में 50 लाख से अधिक दस, 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की 12 एसयूवी बिकी हैं। दस लाख से अधिक कार बिकने की संख्या 150 से अधिक है। इन्हें खरीदने वाले वाहन मालिकों पर आयकर विभाग की नजर है। इस तरह की सभी खरीदारी को आयकर विभाग ने आल इंडिया रिपोर्टिंग गिफ्ट (एआइआरजी) की श्रेणी में रखा है। इसमें यह देखा जाएगा कि महंगी कारें एवं एसयूवी खरीदने वाले धनाढ्यों के आय का स्त्रोत क्या है, ये टैक्स के दायरे में आते हैं या नहीं, यदि आते हैं तो टैक्स भुगतान कर रहे हैं या नहीं। इन सभी के आय और आयकर का आकलन करते हुए आयकर अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।
आयकर रडार पर धनतेरस पर महंगी गाड़ी व जमीन खरीदने वाले
धनतेरस पर महंगी गाड़ी व जमीन खरीदने वाले आयकर रडार पर रहेंगे। आयकर विभाग के अनुसार 10 लाख से अधिक की कार और 30 लाख से अधिक की जमीन खरीदने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। कार शोरूम और रजिस्ट्री विभाग से इनका ब्योरा मांगने के साथ ही सीधे मालिकों से आय का स्त्रोत पूछा जा रहा है। सभी बड़े कार शोरूम से धनतेरस और दीपावली के आसपास गाड़ियों की बिक्री का ब्योरा मांगा गया है। विभाग ने इसके लिए समय-सीमा भी निर्धारित की है। इतना ही नहीं बड़े ज्वैलर्स और उनके खरीदारों पर भी आयकर की नजर है। आयकर विभाग धनबाद रेंज में धनबाद, देवघर, गिरीडीह, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़, साहिबगंज और गोड्डा जिले आते हैं।
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इनपर आयकर की नजर
ब्याज की आय, नकदी जमा या निकासी, भूमि व भवन का क्रय विक्रय, म्यूचुअल फंड में जमा राशि, लाभांश, विदेश से भेजी गई रकम, निर्यात, महंगी गाड़ी की खरीद, क्रेडिट कार्ड के जरिए लेनदेन, महंगे आभूषण की खरीद, करने वाले मामले सामने आने के बाद कार्रवाई की गई है। इन्हें नोटिस भेजा जाएगा। अपना पक्ष रख सकते हैं या आयकर से जुड़े दस्तावेज या लेनदेन बता सकेंगे तो उनपर कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके लिए विभाग के पोर्टल पर जाकर एआइएस वार्षिक सूचना विवरण भरना होगा और इस संबंध में दस्तावेज भी अपलोड करने होंगे।
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महंगे गिफ्ट पर होगी नजर
धनतेरस और दिवाली पर एक-दूसरे को गिफ्ट देन का भी चलन है। कंपनियों अपने कर्मचारियों को बोनस गिफ्ट बांटती हैं। दोस्त से लेकर फैमिली मेंबर्स भी गिफ्ट एक्सचेंज करते हैं। आइटी एक्ट की धारा 56(2) के अनुसार किसी िवित्तीय वर्ष में 50 हजार रुपये से अधित के नगद उपहार मिलने पर टैक्स कटता है। यदि 50 हजार रुपये से अधिक के तोहफे मिले हैं तो उसे अन्य स्त्रोत से आय में दिखाना होगा। इसमें निर्धारित स्लैब के आधार पर टैक्स कटेगा। अगर आप इनकम टैक्स से बचना चाहते हैं तो शर्त यही है कि उपहार में मिला नगद 50 हजार रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। अगर किसी कर्मचारी को उसकी कंपनी की ओर से नगद उपहार मिलता है तो उसे गिफ्ट ही माना जाएगा। भले ही यह 50 हजार रुपये से कम का हो।
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रिश्तेदारों के गिफ्ट पर नियम लागू नहीं
आइटी एक्ट में स्पष्ट है कि रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट्स पर धारा 56(2) के प्राविधान लागू नहीं होंगे। रिश्तेदारों में संबंधित व्यक्ति के जीवनसाथी, भाई-बहन, जीवनसाथी के भाई-बहन, माता-पिता के भाई-बहन, पूर्वज या वंशज, जीवनसाथी के पूर्वज या वंशज।
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