आंध्र प्रदेश। जब भी किसी तीर्थ स्थान में दर्शन की बात आती है, तो सबसे पहली समस्या हम सभी को लाइन लगाने की लगती है। अब तिरूपति देवस्थानम् बोर्ड ने इसे खत्म करते हुए वीआईपी कल्चर को भी खत्म कर दिया है। इसके बाद से अब तिरूपति बालाजी के दर्शन मात्र दो घंटे में संभव हो सकेंगे।
AI जैसे आधुनिक तकनीक का होगा उपयोग
तिरुपति मंदिर में अब घंटों लाइन में लगने की टेंशन खत्म हो गई है। देवस्थानम बोर्ड ने श्रद्धालुओं के हित में फैसला लेते हुए नए नियम बनाए है, जिसके तहत अब सभी भक्त 2 घंटे के भीतर दर्शन कर सकेंगे। आंध्र प्रदेश स्थित तिरुमाला तिरुपति मंदिर में दर्शन व्यवस्था के नियमों में बदलाव करते हुए और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् बोर्ड ने फैसला लिया है कि आधुनिक तकनीक की मदद से दर्शन को सुगम बनाया जाए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अत्याधुनिक तकनीक की मदद से नई दर्शन व्यवस्था बनाई जाएगी। ऐसे में नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं को सिर्फ 2 घंटे में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन कराए जाएंगे। बोर्ड द्वारा लिए गए इस फैसले से भक्तों के लिए दर्शन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।
हर दिन पहुंचते है 1 लाख के करीब श्रद्धालु
तिरुपति मंदिर में दर्शन में फिलहाल 20 से 30 घंटे लग जाते हैं, क्योंकि हर दिन 1 लाख के करीब श्रद्धालु पहुंचते हैं। सितंबर में तिरुपति के लड्डू प्रसादम में मिलावटी घी का मामला सामने आने पर काफी विवाद हुआ था, इसके बाद से टीटीडी ने मंदिर के कई नियमों में हाल के बैठक में बदलाव किए है। जिसमें प्रसाद की व्यवस्था भी बदली गई।
VIP दर्शन का कोटा हुआ खत्म
बोर्ड के सदस्य जे श्यामला राव ने बताया कि स्पेशल एंट्री दर्शन का कोटा भी खत्म किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वीआईपी दर्शन को लेकर गाहे-बगाहे विवाद चलता रहता है, बोर्ड नहीं चाहता कि आगे इस पर कोई भी सवाल खड़े हों। तिरुपति के स्थानीय नागरिकों के लिए हर महीने के पहले मंगलवार को दर्शन की विशेष व्यवस्था भी की गई है। इसके साथ ही, मंदिर परिसर में अब कोई भी नेता राजनीतिक या विवादित बयान नहीं दे सकेंगे। यदि ऐसा कुछ भी बोर्ड के संज्ञान में आता है, तो बोर्ड उन्हें कानूनी नोटिस भेजेगा।
गौरतलब है कि तिरूपति बालाजी में प्रसाद के रूप में बांटे जाने वाले लड्डुओं में मिलावट को लेकर विवाद हुआ था। जो राजनीतिक विवाद में तब्दील हो गया था। विवाद इस कदर बढ़ गया था कि सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके बाद से ही बोर्ड ने वहां के कई नियमों में बदलाव किए।