RANCHI: सेंट जेवियर्स कॉलेज सभागार में आदिवासी-मूलवासी प्रोफेसर एसोसिएशन के तत्वावधान में संविधान में आदिवासी-मूलवासियों का अधिकार बनाम जमीनी हकीकत विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें 24 छात्रावासों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और समाज के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर खुलकर संवाद किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने कहा कि आज देश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि जब कागज का आविष्कार नहीं हुआ था, तब के कागज मांगे जा रहे हैं। उन्होंने संविधान को आम जनता का हथियार बताते हुए कहा कि यह केवल एक किताब नहीं, बल्कि भविष्य निर्धारण का ग्रंथ है। उन्होंने आदिवासियों को वनवासी कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उनकी अस्मिता और पहचान को मिटाने की साजिश है।
बांटा जा रहा है समाज को
कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है कोई राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि एक साजिश का सच है। जिसमें समाज को धर्म, जाति और भाषा के नाम पर बांटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाज को तोड़ने की कोशिशों का उत्तर संवाद और संविधान के मूल्यों से दिया जाना चाहिए। उन्होंने पढ़े-लिखे वर्ग की अंधभक्ति पर भी सवाल उठाया।
संविधान को आत्मसात करने का आह्वान
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने युवाओं से संविधान को आत्मसात करने का आह्वान किया और कहा कि वोट का अधिकार परिवर्तन की ताकत है। उन्होंने युवाओं में दिशाहीनता का कारण शिक्षा और रोजगार की कमी को बताया। इस दौरान छात्रों और अतिथियों के बीच सवाल-जवाब का लंबा दौर चला। छात्रों ने संविधान, वोट, समाज में विभाजन और राजनीतिक प्रयासों से संबंधित ज्वलंत सवाल पूछे। कार्यक्रम की शुरुआत पवन खेड़ा के पारंपरिक स्वागत और आदिवासी नृत्य के साथ हुई।
इनकी रही मौजूदगी
मंच पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. फादर रॉबर्ट प्रदीप कुजूर, पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव समेत कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।