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Tulbul Project: क्या है विवादित टुलबुल प्रोजेक्ट, उमर अब्दुल्लाह औऱ महबूबा मुफ्ती एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप

टुलबुल नौवहन परियोजना जम्मू-कश्मीर के लिए जल प्रबंधन और आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण पहलू हो सकती है। हालांकि, पाकिस्तान की आपत्तियाँ और द्विपक्षीय विवाद के कारण इनदिनों यह चर्चा में है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: Tulbul Project: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के बीच टुलबुल नौवहन परियोजना को लेकर तीखी नोकझोंक इनदिनों चर्चा में है। उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर वुलर झील की तस्वीर साझा करते हुए पूछा कि क्या अब इस परियोजना पर काम फिर से शुरू होगा, जबकि महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री के बयान को “गैर-जिम्मेदार” और “खतरनाक रूप से उत्तेजक” बताया है।

क्या है टुलबुल नौवहन परियोजना?
पाकिस्तान इस टुलबुल परियोजना को ‘वुलर बैरेज’ के नाम से जानता है। यह परियोजना 1980 के दशक में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य जमान नदी के जल स्तर को नियंत्रित करना और सर्दियों में 20 किलोमीटर लंबे बारामुला से सोपोर तक के मार्ग पर नौवहन को सुनिश्चित करना था। परियोजना में 439 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा बैरेज बनाने की योजना थी। इसकी जल भंडारण क्षमता 0.30 मिलियन एकड़ फीट (MAF) थी।

पाकिस्तान की आपत्ति और विवाद
पाकिस्तान ने 1987 में इस परियोजना पर आपत्ति जताई। पाकिस्तान ने यह आरोप लगाया कि यह 1960 के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन है। पाकिस्तान का कहना था कि बैरेज के निर्माण से जल प्रवाह में परिवर्तन होगा, जिससे उनके जल आपूर्ति तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। भारत ने इसे एक नौवहन सुविधा के रूप में प्रस्तुत किया, जो सिंधु जल समझौते के तहत है।

परियोजना की वर्तमान स्थिति
1987 में पाकिस्तान की आपत्ति के बाद इस परियोजना पर काम रोक दिया गया था। हालांकि, जम्मू और कश्मीर सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बैरेज की नींव तैयार है और केवल गेट लगाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस परियोजना के पुनरुद्धार से जम्मू और कश्मीर में जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे में सुधार होगा।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में सिंधु जल समझौते के निलंबन के बाद टुलबुल परियोजना के पुनरुद्धार का समर्थन किया। उन्होंने महबूबा मुफ्ती पर आरोप लगाया कि वह “सीमा पार के लोगों” को प्रसन्न करने की कोशिश कर रही हैं। इसके जवाब में, महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री के बयान को “खतरनाक रूप से उत्तेजक” बताया और कहा कि इस मुद्दे को द्विपक्षीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की कोशिश की जा रही है।

आरोप-प्रत्यारोप में उलझी योजना
टुलबुल नौवहन परियोजना जम्मू और कश्मीर के लिए जल प्रबंधन और आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण पहलू हो सकती है। हालांकि, पाकिस्तान की आपत्तियाँ और द्विपक्षीय विवाद इस परियोजना की प्रगति में बाधक बने हुए हैं। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप इस मुद्दे को और जटिल बना रहे हैं, जिससे समाधान की दिशा में प्रगति धीमी हो रही है।

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