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जमशेदपुर के नाम के साथ बनते दो अजब संयोग: शायद ही पहले कभी आपने ये सुना हो, इन दिनों सोशल मीडिया पर हो रहे वायरल

by Rakesh Pandey
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लोकल डेस्क,जमशेदपुर: जमशेदपुर शहर को लोग कई अलग-अलग नाम से जानते हैं। कोई लौहनगरी कहता है, कोई टाटानगर तो कोई स्टील सिटी, कोई क्लीन सिटी। इन सबके बीच इन दिनों जमशेदपुर के दो अलग नाम सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं।

ऐसा गुणा गणित बैठाया गया है कि आप इसे सिरे से खारिज नहीं कर सकते। दरअसल हम जमशेदपुर के नाम से जुड़े दो ऐसे अजब संयोग की बात कर रहे हैं, जिसके बारे में आपने शायद ही पहले कभी सुना हो। लेकिन इसके होने से आप इनकार नहीं कर सकते।

क्या है जमशेदपुर का इतिहास

जमशेदपुर शहर का नामकरण वर्ष 1919 में किया गया। अंग्रेजों के शासन काल में लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने शहर का नाम जमशेदपुर के संस्थापक जमशेदजी नौसरवानजी टाटा के सम्मान में बदल दिया। यह पहले मूल रूप से साकची था। वहीं कालीमाटी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टाटानगर कर दिया गया। तब से लेकर आज तक पूरे देश दुनिया में यह शहर जमशेदपुर के नाम से ही जाना पहचाना जाता है।

रेलवे, कंप्यूटर, ईमेल, मोबाइल और वाट्सएप के आगमन के बाद सभी शहरों के नाम का शार्ट नेम का प्रयोग शुरू हुआ। मौजूदा समय में जमशेदपुर को अधिकांश लोग अंग्रेजी में JMD अथवा JSR के नाम से संबोधित करते हैं। कंप्यूटराइज प्रणाली में प्रयोग के लिए इन्हीं दो शॉर्ट नेम का सर्वाधिक इस्तेमाल होता है।

कहां होता है उपयोग

जमशेदपुर के रहने वाले युवा अपने ईमेल आईडी बनाने से लेकर वाट्सएप और फेसबुक पर ग्रुप बनाने, अपना पासवर्ड अथवा कीवर्ड बनाने, एक दूसरे को शहर के बारे में जानकारी देने के लिए धड़ल्ले से Jamshedpur की जगह JSR अथवा JMD का इस्तेमाल करते हैं।

कौन सा संयोग जुड़ा है जमशेदपुर के नाम के साथ

दरअसल युवाओं के बीच इस्तेमाल किए जा रहे जमशेदपुर के दोनों शॉर्ट नेम JSR अथवा JMD के साथ कुछ अजीब-ओ-गरीब संयोग बन रहे हैं। JMD को कुछ हुआ ‘जय माता दी’ और JSR को ‘जय श्री राम’ का शॉर्ट फॉर्म भी बता रहे हैं। लिहाजा शहर का नाम लेने के साथ एक तरह से भगवान राम और मां शक्ति की वंदना भी हो जा रही है। युवाओं के बीच अपने शहर के नाम से जुड़ा यह रोचक तथ्य काफी लोकप्रिय हो रहा है।

क्या कहते हैं भाषा शास्त्र के विशेषज्ञ, शब्द और अक्षर कैसे बदलते हैं अपना अर्थ
हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर तथा कोल्हान विश्वविद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालय गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य डॉ. विजय कुमार पीयूष का कहना है कि शब्द और अक्षर स्थान, काल और संस्कृति के अनुसार अपना अर्थ बदलते रहते हैं।

बहुत सारे शब्दों के अर्थ दो अलग-अलग भाषाओं में दो अलग-अलग हो सकते हैं। इसी तरह किसी काल अथवा परिस्थिति में कोई शब्द किसी विशेष अर्थ के लिए प्रयुक्त किया जा रहा हो, तो ऐसा संभव है कि कुछ कालखंड बीतने के बाद वही शब्द किसी दूसरे अर्थ में प्रयुक्त किया जाने लगे। बेहद आसान शब्दों में कहे तो कभी-कभी कुछ नाम कुछ चीजों के पर्याय या पर्यायवाची बन जाते हैं।

उदाहरण के लिए जैसे कुछ समय पहले वनस्पति घी का एक ब्रांड डालडा नाम से बाजार में आया। यह ब्रांड इतना तेजी से प्रचारित हुआ कि अधिकांश लोग दुकानों पर वनस्पति घी मांगने की जगह डालडा शब्द का इस्तेमाल करने लगे। मौजूदा परिस्थितियों की बात करें तो हर भाषा को तकनीक के साथ तालमेल बैठाकर ही चलना है। पहले बड़े-बड़े नाम प्रचलन में थे।

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धीरे-धीरे इन नामों का संक्षिप्तीकरण होने लगा। कंप्यूटर के दौर में कोडवर्ड और पासवर्ड के लिए बड़े नाम का तेजी से संक्षेपण किया गया। अब कुछ अक्षरों को जोड़कर गढ़े गये नए शब्द अपने साथ दूसर अर्थ को भी समेटे हुए रहते हैं। युवाओं के बीच यह खासा लोकप्रिय भी है। नई पीढ़ी बेहद रचनात्मक है। यह हर तरह के प्रयोग कर रही है। जिससे जीवन और संवाद कुछ और सहज हो सके। जमशेदपुर के नाम के साथ खोजा गया संयोग भी कुछ ऐसा ही है।

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