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‘2014 से अघोषित आपातकाल जारी’,न्यूजक्लिक के संस्थापक और HR की गिरफ्तारी,कांग्रेस का केंद्र पर हमला

by Rakesh Pandey
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नयी दिल्ली : कांग्रेस ने ‘न्यूजक्लिक’के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के बाद केंद्र पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2014 से देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया है जो 2024 के चुनाव में हार के डर से और भी बदतर होता जा रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’पर लिखा कि प्रिंसटन के प्रख्यात इतिहासकार ज्ञान प्रकाश ने 1975-77 की अवधि का एक गहन शोधपूर्ण विवरण लिखा है, जिसे इमरजेंसी क्रॉनिकल्स कहा जाता है। डॉ प्रकाश जिस प्रतिरोध का विस्तार से वर्णन करते हैं, उसके ऐसे नायकों में से एक हैं प्रबीर पुरकायस्थ, जो बाद में ऊर्जा नीति के विशेषज्ञ बने।

चुनाव में हार के डर से भाजपा पत्रकारों पर कस रही शिकंजा

रमेश ने लिखा मोदी सरकार ने आज उन्हीं प्रबीर पुरकायस्थ समेत अन्य लोगों को गिफ्तार कर लिया है। भाजपा सरकार ने 2014 से अघोषित आपातकाल लागू कर रखा है, जो कि 2024 के चुनावों में हार के डर के कारण बदतर होता जा रहा है। एक अन्य पोस्ट में उन्होंने आरोप लगाया कि पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता प्रधानमंत्री के पसंदीदा कारोबारी समूह पर अपनी निरंतर पड़ताल के लिए मोडानी शासन के प्रतिशोध का सामना कर रहे हैं, लेकिन पर्दाफाश जारी रहेगा।

दिल्ली पुलिस ने यूएपीए के तहत के दर्ज किया मामला

दिल्ली पुलिस ने चीन के समर्थन में प्रचार करने के लिए धन प्राप्त करने के आरोपों में गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में 30 स्थानों पर छापे मारने और विभिन्न पत्रकारों से पूछताछ के बाद मंगलवार को न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन (एचआर) प्रमुख अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दिल्ली स्थित न्यूजक्लिक के कार्यालय को सील कर दिया, 46 संदिग्धों से पूछताछ की गई और लैपटॉप एवं मोबाइल फोन सहित डिजिटल उपकरणों तथा दस्तावेज जांच के लिए जब्त कर लिए गए। अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ कार्यालय में 37 संदिग्ध लोगों से पूछताछ की गई, जबकि नौ महिला संदिग्धों से उनके घरों में पूछताछ हुई। दिल्ली पुलिस की प्रवक्ता सुमन नलवा ने कहा कि अब तक दो आरोपियों पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया गया है।

क्या होता है यूएपीए

सबसे पहले आपको बता दें कि UAPA का फुल फॉर्म Unlawful Activities (Prevention) Act होता है. इसका मतलब है- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम। इस कानून का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं। इस मामले में एनआईए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को काफी शक्तियां होती है। यहां तक कि एनआईए महानिदेशक चाहें तो किसी मामले की जांच के दौरान वह संबंधित शख्स की संपत्ति की कुर्की-जब्ती भी करवा सकते हैं।

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इस एक्ट के लग जाने से छीन जाती है व्यक्ति की आजादी

यूएपीए कानून 1967 में लाया गया था। इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत दी गई बुनियादी आजादी पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए लाया गया था। पिछले कुछ सालों में आतंकी गतिविधियों से संबंधी POTA और TADA जैसे कानून खत्म कर दिए गए, लेकिन UAPA कानून अब भी मौजूद है और पहले से ज्यादा मजबूत है। अगस्त 2019 में ही इसका संशोधन बिल संसद में पास हुआ था, जिसके बाद इस कानून को ताकत मिल गई कि किसी व्यक्ति को भी जांच के आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।

पहले यह शक्ति केवल किसी संगठन को लेकर थी। यानी इस एक्ट के तहत किसी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाता था। सदन में विपक्ष की आपत्ति पर गृहमंत्री अमित शाह का कहना था कि आतंकवाद को जड़ से मिटाना सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए यह संशोधन जरूरी है। पर इसका दुरुपयोग होने लगा है। यह हाल में पत्रकारों पर ही इस एक्ट को लगाकर लोकतंत्र की आवाज को दबाने का काम सरकार कर रही है। इस एक्ट का गलत उपयोग होने से दिन प्रतिदिन स्थिति विस्फोटक होती जा रही है।

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