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Jyotiraditya Scindia/Sukant Majumdar : केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने फैशन शो में बिखेरा जलवा

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली : देश की सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहरों को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव’ पर आयोजित फैशन शो में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने मंच पर कदम रखते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह आयोजन रविवार शाम को राजधानी में संपन्न हुआ, जिसमें भारतीय संस्कृति और फैशन का अनूठा संगम देखने को मिला।

फैशन शो का मुख्य उद्देश्य भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों (अष्टलक्ष्मी) की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक वस्त्रों को प्रदर्शित करना था। इस कार्यक्रम में देश भर से कई प्रमुख फैशन डिजाइनरों ने हिस्सा लिया और अपने परिधानों के माध्यम से पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक धरोहर को खूबसूरती से प्रस्तुत किया।

सिंधिया और मजूमदार ने बढ़ाई शो की शान

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य मंत्री सुकांता मजूमदार ने पारंपरिक परिधान पहनकर रैंप पर वॉक किया। सिंधिया ने असम के पारंपरिक मेखला चादर को पहना, जबकि मजूमदार ने नागालैंड की विशिष्ट अंगरखा शैली का प्रदर्शन किया। उनके इस अनूठे अंदाज ने दर्शकों की खूब सराहना बटोरी।

इस मौके पर सिंधिया ने कहा, ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने का एक बेहतरीन मंच है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की परंपराएं और वस्त्र विश्व स्तर पर पहचान के योग्य हैं’।

सुकांता मजूमदार ने भी कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा, ‘यह हमारे पूर्वोत्तर राज्यों के प्रति देश के सम्मान और गौरव को प्रकट करने का एक प्रयास है। यहां की कला और संस्कृति को बढ़ावा देना हमारी जिम्मेदारी है’।

अष्टलक्ष्मी महोत्सव की खास बातें

फैशन शो के अलावा, इस महोत्सव में पूर्वोत्तर भारत के पारंपरिक नृत्य और संगीत का भी प्रदर्शन किया गया। आयोजन स्थल पर हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए गए थे, जिन्होंने दर्शकों को पूर्वोत्तर की समृद्ध संस्कृति का स्वाद चखाया।

कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियों और दर्शकों की भारी भीड़ देखने को मिली। यह महोत्सव केवल एक फैशन शो नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव था, जिसने पूर्वोत्तर भारत की अनूठी परंपराओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने का काम किया।

अगले साल के लिए उम्मीदें बढ़ीं

आयोजकों ने इस पहल की सफलता पर खुशी जताई और वादा किया कि अगले साल यह महोत्सव और भी बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम ने न केवल भारतीय संस्कृति को उजागर किया, बल्कि राष्ट्रीय एकता के संदेश को भी मजबूत किया।

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