लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में चिकित्सा शिक्षकों और डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है। अब यदि कोई डॉक्टर सरकारी अस्पताल में कार्यरत होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करता हुआ पाया गया, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और भारी जुर्माना भी वसूल किया जाएगा। यूपी के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों पर अब जिलाधिकारियों की नजरें टेढ़ी रहेंगी, ताकि वे किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस ना करें।
राज्य सरकार ने कानपुर स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। यदि किसी भी चिकित्सक के प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस की पुष्टि होती है, तो प्रशासन उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। न केवल उनका लाइसेंस रद्द किया जाएगा, बल्कि उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ेगा। यह कदम राज्य में चिकित्सा क्षेत्र में भ्रष्टाचार और निजी प्रैक्टिस को समाप्त करने के लिए उठाया गया है।
कार्रवाई के लिए बनाई गई सतर्कता समिति
इस योजना को अमल में लाने के लिए एक सतर्कता समिति का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे। यह समिति हर तीन महीने में बैठक करेगी और सरकारी चिकित्सा शिक्षकों के प्राइवेट प्रैक्टिस के मामलों की जांच करेगी। इसके अंतर्गत यदि कोई सरकारी डॉक्टर मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए मजबूर करता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में यदि किसी डॉक्टर को दोषी पाया जाता है, तो न केवल उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा, बल्कि उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
इलाज की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार का फैसला
यह कदम राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रशासन का मानना है कि इससे सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर अपने कर्तव्यों के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनेंगे और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होगी। इसके अलावा, सरकारी अस्पतालों में सर्जरी की संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है, क्योंकि अब डॉक्टर अधिक समय ओपीडी में मरीजों की देखभाल करने में लगा रहे हैं।
निजी प्रैक्टिस करते पकड़े गए थे जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सह आचार्य
हाल ही में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सह आचार्य न्यूरो सर्जन डॉक्टर राघवेंद्र गुप्ता को निजी प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा गया था। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें कार्रवाई करते हुए झांसी के राजकीय मेडिकल कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया। इस घटना के बाद से यूपी में चिकित्सा शिक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर सख्त निगरानी रखी जा रही है।
डाक्टरों से भराया जा रहा है एफीडेविट
अब, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभी डॉक्टरों से स्टांप पर शपथ- पत्र भरवाया जा रहा है, जिसमें वे यह शपथ लेंगे कि वे किसी भी प्रकार की निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे। इस कदम से सरकार का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रशासन की कड़ी निगरानी और सख्त कदम से यह उम्मीद की जा रही है कि अब सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की ओर से बेहतर उपचार और सर्जरी की संख्या में वृद्धि होगी। साथ ही, निजी प्रैक्टिस के बजाय सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों को जिम्मेदार बनाया जाएगा।
Read also Stock Market : शेयर बाजार पर ‘फर्क नहीं पड़ा’ की स्थिति: 4 गुड न्यूज के बावजूद गिरावट के 4 बड़े कारण