Home » NPU कुलपति ने अपनी कार्यशैली पर दी सफाई, कहा – “हजारीबाग और रांची विश्वविद्यालय में छात्रों-शिक्षकों के हित में ही कार्य किए”

NPU कुलपति ने अपनी कार्यशैली पर दी सफाई, कहा – “हजारीबाग और रांची विश्वविद्यालय में छात्रों-शिक्षकों के हित में ही कार्य किए”

55 परीक्षाएं, 4 महीने में परिणाम, EPF गड़बड़ी पर कार्रवाई, डिजिटल पैनल विवाद पर सफाई।

by Reeta Rai Sagar
NPU VC Dinesh Kumar Singh addresses press on VBU and Ranchi University tenure
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

डालटनगंज: नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय (NPU) के कुलपति डॉ. (प्रो.) दिनेश कुमार सिंह ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय (VBU), हजारीबाग और रांची विश्वविद्यालय में अपने अल्पकालिक कार्यकाल को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब गुरुवार को अपनी दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैंने दोनों विश्वविद्यालयों में जो भी किया, वह छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के हित में था।” डॉ. सिंह ने कहा कि हजारीबाग और रांची में कार्यभार संभालने के बाद कुछ भ्रम उत्पन्न हुए हैं। कई तरह की कहानियां फैलाई गई हैं, जिनका अब स्पष्टीकरण देना जरूरी है।

“सिर्फ सुझाव दिए, निर्णय अधिकारियों के अनुरोध पर हुए”

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने प्रभारी कुलपति के अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्णय लिए, जबकि उन्हें सिर्फ ‘रूटीन कार्य’ करने को कहा गया था, तो उन्होंने शांतिपूर्वक जवाब देते हुए कहा, “मैंने कोई भी निर्णय अपने स्तर से नहीं लिया। दोनों विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और अधिकारी फाइल लेकर आते थे और उचित सलाह की अपेक्षा करते थे। मैंने सिर्फ सुझाव दिए।”

राजभवन की नाराजगी पर बोले – “मैंने कुछ गलत नहीं किया”

राजभवन की ओर से उनकी कार्यशैली को लेकर नाराजगी के सवाल पर डॉ. सिंह ने जवाब दिया, “मैंने किसी भी नियम के खिलाफ कोई कार्य नहीं किया। मैंने तो सिर्फ सुझाव दिया कि एक विश्वविद्यालय में आधुनिक गेस्ट हाउस बनना चाहिए, क्योंकि वर्तमान गेस्ट हाउस अस्पताल के वार्ड जैसा लगता है।”

EPF घोटाले का किया खुलासा, UR नियुक्ति को बताया जरूरी

डॉ. सिंह ने एक आउटसोर्स एजेंसी द्वारा अनुबंधित कर्मचारियों के EPF (Employees’ Provident Fund) में की गई बड़ी वित्तीय गड़बड़ी का जिक्र करते हुए कहा, लाखों रुपये के EPF में हेराफेरी हुई थी। ऐसी एजेंसी को बख्शा नहीं जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि एक अल्पसंख्यक कॉलेज में University Representative (UR) नहीं था, जिसे नियुक्त करना पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए जरूरी था। उन्होंने UR की नियुक्ति करवाई, लेकिन इसे गलत तरीके से प्रचारित किया गया।

डिजिटल पैनल खरीद पर बोले – “बिल वायरल, भुगतान नहीं हुआ”

डॉ. सिंह ने हाल ही में वायरल हो रहे एक इंटरएक्टिव डिजिटल पैनल के बिल पर भी सफाई दी। उन्होंने कहा, जिस बिल को लेकर विवाद हो रहा है, वह अभी तक विश्वविद्यालय में आधिकारिक रूप से जमा नहीं हुआ है। न ही उसका कोई भुगतान हुआ है। उन्होंने बताया कि 80 लाख रुपये की स्वीकृत राशि में 16 के बजाय 20 पैनल खरीदे गए, ताकि बजट का अधिकतम उपयोग हो सके।

बाबुओं के तबादले को बताया प्रशासनिक मजबूरी

डॉ. सिंह पर बार-बार बाबुओं के तबादले को लेकर भी सवाल उठे। उन्होंने कहा, “कुछ बाबू एक ही टेबल पर 15 साल से जमे थे। उन्हें कार्य अनुभव और जवाबदेही के लिए स्थानांतरित करना जरूरी था।

मीडिया स्वतंत्र है, तथ्यों को तोड़े नहीं

डॉ. सिंह ने मीडिया से अपील की कि वे विश्वविद्यालय की खबरें स्वतंत्र रूप से कवर करें लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश न करें, सच्चाई सामने आनी चाहिए।

55 परीक्षाएं, 4 महीनों में परिणाम प्रकाशित – “यह टीमवर्क है”

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कुछ मीडियाकर्मियों ने विश्वविद्यालय अधिकारियों की जानकारी न देने की शिकायत की। इस पर कुलपति ने भरोसा दिलाया कि सूचना साझा करने में कोई बाधा नहीं होगी। उन्होंने बताया कि पिछले 4 महीनों में विश्वविद्यालय ने 55 परीक्षाएं आयोजित कीं और सभी के परिणाम समय पर प्रकाशित किए गए। यह एक अद्भुत टीमवर्क है, जिस पर मुझे गर्व है।

डॉ. दिनेश कुमार सिंह ने अपने हर निर्णय और कार्रवाई को पारदर्शी, विश्वविद्यालय हितैषी और नियमानुसार बताया। EPF घोटाले से लेकर डिजिटल पैनल विवाद तक, उन्होंने सभी मुद्दों पर खुलकर सफाई दी और विश्वविद्यालय के प्रशासन में सुधार की अपनी प्राथमिकता दोहराई।

Also Read: Palamu NSUI : नीलांबर-पीतांबर विवि में GST चोरी की वित्त मंत्री से शिकायत, बड़ी कार्रवाई के संकेत

Related Articles

Leave a Comment