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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उठाए सवाल : कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR क्यों नहीं

भारत में किसी भी संवैधानिक पदाधिकारी, यहां तक कि उपराष्ट्रपति के खिलाफ भी FIR दर्ज की जा सकती है।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली : भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बड़ा बयान देते हुए न्यायपालिका में कानून के शासन (Rule of Law) की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास से नकदी मिलने के मामले में अब तक FIR दर्ज न होने पर गहरी चिंता व्यक्त की।

जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से मिले थे जले हुए कैश के बोरे

उल्लेखनीय है कि 14 मार्च 2025 को दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के बाद, ‘चार से पांच अधजले बोरे भारतीय मुद्रा’ पाए गए थे। इस सनसनीखेज़ खुलासे के एक महीने बाद भी अब तक कोई प्राथमिकी (FIR) दर्ज नहीं की गई है।

उपराष्ट्रपति का सवाल : कानून सभी के लिए समान क्यों नहीं?

राज्यसभा इंटर्न्स के छठे बैच को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा ‘एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में आपराधिक न्याय प्रणाली की शुद्धता उसकी दिशा तय करती है। हर संज्ञेय अपराध की रिपोर्टिंग कानूनन आवश्यक है और ऐसा न करना खुद एक अपराध है। फिर भी इस मामले में अब तक FIR क्यों नहीं’।
उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी संवैधानिक पदाधिकारी, यहां तक कि उपराष्ट्रपति के खिलाफ भी FIR दर्ज की जा सकती है। परंतु न्यायाधीशों के खिलाफ FIR के लिए न्यायपालिका की अनुमति आवश्यक होती है, जबकि ऐसा संविधान में कहीं नहीं लिखा गया है।

न्यायाधीशों को ‘कवच’ नहीं मिलना चाहिए : धनखड़
धनखड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के संविधान ने केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को अभियोजन से संरक्षण (Immunity from Prosecution) दिया है। उन्होंने कहा:
‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता एक अभेद्य कवच नहीं है, जो जांच से बचने का ज़रिया बने। भ्रष्टाचार के मामलों में भी कानून का पालन हर किसी पर समान रूप से होना चाहिए’।

उपराष्ट्रपति के इस बयान ने न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है। क्या अब इस मामले में कार्रवाई होगी? क्या जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज होगी? ये ऐसे सवाल हैं, जिन पर देश की नजरें टिकी हैं।

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