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Jharkhand Khunti : डहेकला में खेल मैदान को बेचने के विरोध में ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय एरियल कंडुलना ने कहा कि 1949 से इस खेल मैदान पर स्कूल का कब्जा है और विद्यालय के सभी आयोजनों का संचालन यहीं किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस भूमि पर कोई भी बदलाव नहीं होने दिया जाएगा।

by Anurag Ranjan
School land sale dispute
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खूंटी : झारखंड के खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड के डहेकला में राजकीय मध्य विद्यालय के खेल मैदान को बेचने का मामला तूल पकड़ चुका है। इस कदम के खिलाफ सोमवार को गांव में एक बड़ी बैठक आयोजित की गई, जिसमें विद्यालय के प्रधानाध्यापक, शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर इसका विरोध किया। ग्रामीणों ने जोर देकर कहा कि इस खेल मैदान का अस्तित्व न केवल विद्यालय, बल्कि पूरे गांव के लिए महत्वपूर्ण है और इसे किसी भी हालत में बेचा नहीं जाने दिया जाएगा।

इतिहास में गहरी जड़ें, 1949 से स्कूल का हिस्सा है खेल मैदान

बैठक के दौरान, स्कूल के प्रधानाध्यापक संजय एरियल कंडुलना ने कहा कि 1949 से इस खेल मैदान पर स्कूल का कब्जा है और विद्यालय के सभी आयोजनों का संचालन यहीं किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस भूमि पर कोई भी बदलाव नहीं होने दिया जाएगा क्योंकि यह स्थल 1975 से सरकारी विद्यालय के अधीन है और पिछले 74 वर्षों से स्कूल के उपयोग में है। कंडुलना ने इस जमीन को किसी भी परिस्थिति में बेचे जाने के खिलाफ अपनी पूरी ताकत से विरोध किया।

निजी स्वार्थ और जमीन का विवाद

सामाजिक कार्यकर्ता रवींद्र सिंह ने भी इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इस भूमि को बेचने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि यह भूमि स्कूल और गांव की सांस्कृतिक धरोहर है। उन्होंने बताया कि ठाकुर जयेंद्र नाथ शाहदेव और प्रतिमा देवी ने यह भूमि गोविंदपुर के रूपेश कुमार सोनी और चिजय कुमार साहू को बेच दी है।

रवींद्र सिंह ने कहा कि आठ जनवरी को इस मुद्दे पर एक विशाल बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्रामीणों को एकजुट किया जाएगा। साथ ही, इस बैठक में विधायक सुदीप गुड़िया को भी आमंत्रित किया गया है, ताकि इस विवाद का हल निकाला जा सके।

जमीन मालिक का बयान

इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए भूमि के मालिक ठाकुर जयेंद्र नाथ शाहदेव ने कहा कि यह भूमि उनकी है और ऑनलाइन रिकॉर्ड में भी इसकी संपत्ति दर्ज है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग ग्रामीणों को बहका रहे हैं और इस बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया, लेकिन जब भी ग्रामीण उन्हें बुलाएंगे, वह अपनी बात रखने के लिए बैठक में उपस्थित होंगे।

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