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तेलंगाना के सीएम केसीआर को विधानसभा चुनाव में पटखनी देने वाले केवीआर कौन हैं? जानें

by Rakesh Pandey
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पॉलिटिकल डेस्क :  तेलंगाना विधानसभा चुनाव में एक जबरदस्त उलटफेर देखने को मिला। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करनेवाली भारत राष्ट्र समिति BRS के नेता व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ेगा। चुनाव के परिप्रेक्ष्य में यह दिलचस्प सवाल उठता है कि केसीआर को पटखनी देने वाले केवीआर कौन हैं?

उभरा नया नाम, केवी रमण रेड्डी

इस रहस्यमयी चर्चा का मुख्य केंद्र तेलंगाना राज्य के नए नेता केवी रमण रेड्डी हैं, जो इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी के रूप में उभर कर आए हैं। उनके जीवन, सियासी सफलता और राजनीति के बारे में आज हर कोई जानना चाहता है। इस नए राजनीतिक योद्धा ने कैसे बनाई अपनी अलग पहचान। कैसे वह तेलंगाना की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आइए एक नजर डालते हैं।

दस साल तक सत्ता में रहे केवीआर को दी शिकस्त

तेलंगाना विधान सभा चुनाव के परिणामों में मुख्यमंत्री की यह चौंकाने वाली हार चर्चा में है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से नाता टूटने के बाद कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी का यह प्रदर्शन काफी निराशाजनक कहा जा रहा है। केवी रमण रेड्डी ने 10 साल तक तेलंगाना की सत्ता संभालनेवाले के चंद्रशेखर राव को हराया है। इतना ही नहीं, इसी सीट पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को तीसरे स्थान पर धकेल दिया।इस सफलता ने उन्हें राजनीतिक के क्षेत्र में अचानक चर्चा में ला दिया है।

 

कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी का सियासी सफर

के वेंकट रमण रेड्डी का सियासी सफर बहुत रोचक और प्रेरणादायक है। 2004 में उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत अविभाजित निजामाबाद जिले में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर की थी। उस समय उन्होंने मंडल क्षेत्रीय परिषद का चुनाव जीता था। इसके बाद, वह जिला परिषद के अध्यक्ष बने और ने वहां अपने नेतृत्व की क्षमता का प्रदर्शन किया। इसके बाद वे के चंद्रशेखर राव की भारतीय राष्ट्र समिति में शामिल हो गए।

2018 के विधानसभा चुनाव समय भाजपा में हुए शामिल

2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, रमण रेड्डी बीआरएस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उस समय भी उन्हें कामारेड्डी सीट से चुनाव मैदान में उतारा। चुनाव परिणाम जारी होने के बाद वे तीसरे स्थान पर रहे थे। इस हार के बाद भी रमण निराश नहीं हुए, बल्कि उन्होंने गांवों की जनता को जोड़ने के लिए कई समाजसेवी और विकास कार्यों में अपनी ऊर्जा लगाई।

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लगातार नागरिकों से जुड़ते रहे केवीआर

रमण रेड्डी ने कामारेड्डी टाउन ड्राफ्ट मास्टर प्लान के खिलाफ किसानों की लड़ाई में भी सबसे आगे बढ़कर साथ दिया। समय के साथ, कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी ने अपनी पकड़ को मजबूत बनाया। उन्होंने किसानों के मुद्दों को उठाया और उनकी बातों ने लोगों के बीच में उम्मीद बनाए रखी। उनकी सकारात्मक नेतृत्व के चलते, उन्हें चुनौती प्राप्त होती रही, लेकिन उन्होंने चुनौतियों को अवसर में बदलने में सफलता प्राप्त की। इन्ही सब कारणों से उन्हें नागरिकों के बीच लोकप्रियता बनी है। वह पहले से ही अपने स्थानीय क्षेत्र में सेवा कर रहे थे, जिससे उन्होंने लोगों के बीच विश्वास जीता। उनका नेतृत्व और कार्यों ने उन्हें एक गरीब किसान के प्रति संवेदनशील नेता के रूप में स्थापित किया है।

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