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क्यों Elon musk से परेशान है मुकेश अंबानी, एयरटेल और…….

स्टार लिंक एलन मस्क की सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है, जो दुनिया भर में सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट मुहैया कराती है। स्टार लिंक के अंतर्गत हजार से भी अधिक सैटेलाइट है, जिन्हें LEO (Low Earth Orbit) सैटेलाइट कहा जाता है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्कः दुनिया के दो दिग्गजों के बीच इन दिनों अंदरूनी टेक फाइट चल रही है। अब इसमें अन्य कंपनियां भी कूद रही है। ये फाइट है एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक और जियो फाइबर के बीच की। दरअसल एलन मस्क 2021 से ही भारत में स्टार लिंक के जरिए घुसने की कोशिश कर रहे है, लेकिन यहां पहले से ही जियो ने पैठ जमा रखी है।

स्टार लिंक क्या है

स्टार लिंक एलन मस्क की सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है, जो दुनिया भर में सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट मुहैया कराती है। स्टार लिंक के अंतर्गत हजार से भी अधिक सैटेलाइट है, जिन्हें LEO (Low Earth Orbit) सैटेलाइट कहा जाता है। ये सैटेलाइट्स जमीन से कुछ खास दूरी पर नहीं होते है और आप इन्हें अपनी नग्न आंखों से देख सकते है। कई बार इंडिया में भी इन सैटेलाइट्स के देखे जाने के खबरें आई है।

जियोफाइबर भी साख जमा रहा है

अब मुकेश अंबानी भी जियो फाइबर पर कड़ी मेहनत कर रहे है और धीरे-धीरे यह आम लोगों के बीच पॉपुलर भी हो रहा है। जियो फाइबर से इंटरनेट चलाने के लिए किसी भी फाइबर ऑप्टिक्स की जरूरत नहीं होती है यानि बिना किसी केबल के ही घरों में इंटरनेट चलता है। खासकर उन जगहों पर जहां रेगुलर इंटरनेट (प्रॉपर सेटअप) पहुंचने की व्यवस्था नहीं है।

अब स्टार लिंक की चर्चा क्यों

दरअसल 2021 से ही एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक भारत में अपनी एंट्री की राहें तलाश रही है, लेकिन अब जाकर भारत सरकार की ओर से उन्हें कुछ पॉजिटिव संकेत मिले है। भारत सरकार ने मस्क को भारत में बिजनेस की परमिशन दे दी है। इसी बात को लेकर जियो को परेशानी हो रही है। क्यों कि जाहिर तौर पर मुकेश अंबानी के मार्केट शेयर में एक भागीदार शामिल हो जाएगा। चूंकि स्टार लिंक के पास कई सारी रिसोर्सेज है, जिससे उन्हें भारत में इंटरनेट प्रोवाइड करने में कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन जियो सैटेलाइट आधारित इंटरनेट नहीं प्रदान करता है।


क्या है तकरार की वजह

हांला कि भारत सरकार ने इस बार ऑक्शन के बदले अलॉटमेंट का तरीका अपनाया है। जिस पर मुकेश अंबानी की कंपनी को ऐतराज है। वो चाहते है, कि ऑक्शन हो न कि अलोकेशन। इस बहस में एय़रटेल का भी यही मानना है कि भारत सरकार को ऑक्शन कराना चाहिए न कि अलोकेशन। ऑक्शन के माध्यम से जियो व एय़रटेल सरीखी कंपनियों को फायदा हो सकता है। यदि ऑक्शन होता है, तो उसमें बाहर की कोई भी कंपनी हिस्सा नहीं ले सकती। यानि जैसे हम टेस्ला को भारत में सीधा नहीं खरीद सकते, उसी प्रकार स्टार लिंक भी नहीं लिया जा सकता है। ऐसे में एलन मस्क को पहले भारत में पूरी तरह से अपनी साख जमानी होगी।

चूंकि अन्य देशों के मुकाबले अब भी भारत में इंटरनेट की रीच बहुत कम है। ऐसे में स्टार लिंक अपने हजारों सैटेलाइट के माध्यम से उन जगहों पर भी सर्विस प्रोवाइड कर सकता है, जहां रेगुलर सेटअप का जाना मुमकिन नहीं है। गौरतलब है कि जब जियो ने भारतीय बाजार में एंट्री मारी थी, तब कई अन्य सर्विस प्रोवाइडर या तो समाप्त हो गए या फिर उन्हें मर्जर का रास्ता चुनना पड़ा। फिर भी उनकी स्थिति उतनी बेहतर नहीं है।

हांला कि स्टार लिंक बेहद महंगा है, लेकिन कई देशों में स्टार लिंक ने सस्ते प्लान भी दिए है। ऐसे में अगर स्टार लिंक भारत आता है, तो बहुत हद तक मुमकिन है कि वो सस्ते डेटा प्लानस लांच करें।

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