सेंट्रल डेस्क: महसा अमीनी को हिजाब ठीक से न पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, पुलिस हिरासत में ही महसा अमीनी की मौत हो गई थी। महसा अमीनी की मौत के ठीक एक साल बाद ईरान सरकार हिजाब कानून को और भी सख्त करने जा रहा है, हिजाब ठीक से न पहनने पर 10 साल की कैद हो सकती है, इसके साथ 60 कोड़े मारने समेत पैसों का भी जुर्माना व अन्य दण्ड भी शामिल है। ईरान सरकार द्वारा सख्ती के साथ हिजाब कानून अक्टूबर से लागू किया जा सकता है।
महसा अमीनी की मौत की वजह
हिजाब को लेकर के ईरान में कई वर्षो से जंग छिड़ी हुई है, इसी जंग की शिकार हुई महसा अमीनी। पिछले साल सितंबर में 22 वर्षीय महसा को हिजाब ठीक से ना पहने पर गिरफ्तार कर लिया गया था, हिरासत के ही दौरान महसा की मौत हो गई थी। मौत के बाद लगातार ईरानी महिलाएं हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। महसा की मौत का आक्रोश प्रकट करते हुए महिलाओं ने अपने हिजाब फाड़ दिए थे और सरकार के विरोध में अपनी चोटिया काट दी थी।
प्रदर्शन से आक्रोश इतना बढ़ गया था कि ईरान की सरकार को हिजाब पर नजर रखने वाली मोरल पुलिस को भी हटाना पड़ गया था। अब इसी प्रदर्शन का जवाब देते हुए ईरान सरकार बहुत सख्त कानून लाने जा रही है, जिसे सरकारी तौर पर अक्टूबर से लागू किया जा सकता है।
क्या है सख्त कानून
लगातार प्रदर्शन के खिलाफ ईरान सरकार अक्टूबर से लागू कर सकता है यह नया हिसाब कानून। इस कानून के तहत महिलाओं को हिजाब ठीक से न पहनने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है, 60 कोड़ों की सजा और हज़ारों ईरानी रियाल रुपए का जुर्माना लगा सकती है। सरकार के इस नए ऐलान से ईरान ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक बार फिर से हिजाब को लेकर के चर्चाएं शुरू हो गई हैं। चर्चाएं मानवाधिकार पर, महिलाओं के अधिकार और उनके सशक्तीकरण की भी हो रही है।
फिर से सड़कों पर मोरल पुलिस
पिछले दो महीने से मोरल पुलिस फिर से सड़कों पर उतर आए हैं और लगातार निगरानी का काम चल रहा है। विशेष तौर पर पार्कों में, विश्वविद्यालय में, अस्पतालों में और वर्कप्लेस भी शामिल है। ईरान की सच्चाई दिखाते हुए सोशल मीडिया पर दो वीडियो बहुत वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो में एक मोरल पुलिस एक महिला को लात मार कर गाड़ी में बैठता हुआ दिख तो वहीं दूसरी वीडियो में एक आदमी हिजाब ना पहनने पर मां बेटी पर दही फेंकते नजर आ रहे हैं।
कौन-कौन कर रहा है जब कानून का विरोध
महसा अमीनी की मौत के बाद ईरानी महिलाएं लगातार प्रदर्शन कर रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिजाब कानून के विरोध में एक छात्रा ने कहा- इस्लामिक रिपब्लिक धीरे-धीरे महिलाओं को सार्वजनिक स्थल पर प्रतिबंध करना चाहती है। वहीं दूसरी ओर ईरान सरकार के नए हिसाब कानून का विरोध करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने कहा कि वास्तविक तौर पर यह कानून महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को धराशाई करने की कोशिश है। संगठन के विशेषज्ञों का कहना है की सख्त ड्रेस कोड लैंगिक रंगभेद के समान है। हुसैन रायसी, ईरान मानवाधिकार वकील कहते है, ऐसी सख्त सजा हत्या या मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों को मिलती है।
READ ALSO : तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने कहा आरक्षण लागू करने की शक्ति राज्याें काे दे केंद्र सरकार
क्या है सख्त ड्रेस कोड ?
ईरान सरकार ने अपने नए हिजाब कानून में यह साफ कर दिया है कि महिलाओं को दोषी पाने पर उन्हें 10 साल तक की कैद, 60 कोड़ों की सजा और हज़ारों ईरानी रियाल रुपए का जुर्माना हो सकता है। गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिना ठीक से हिजाब पहने महिलाएं बाजार में खरीदारी करने नहीं जा सकती हैं और ना ही किसी अन्य सेवाओं का लुत्फ उठा सकती हैं। अगर बिना हिजाब के कोई महिला व्यावसायिक काम करते हुए पकड़ी जाती है, तो उसके खिलाफ सख्त सजा हो सकती है।