स्टेट डेस्क, लखनऊ : राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से ए प्लस प्लस ग्रेड प्राप्त दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में शुक्रवार को छात्र और विश्वविद्यालय प्रशासन आमने-सामने आ गये। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और गोरखपुर विवि के पदाधिकारियों के बीच विवाद हो गया। आरोप है कि आक्रोशित विद्यार्थियों ने तोड़फोड़ की। पुलिस घटना की जांच में जुट गयी है।
सीसीटीवी की मदद से आरोपियों की पहचान की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि विद्यार्थियों के हमले में विवि के कुलसचिव प्रो. अजय सिंह घायल हुए हैं। वहीं कई छात्रों को भी चोटें आयी है। छात्रनेताओं का कहना है कि दरअसल इस पूरे विवाद का कारण विश्वविद्यालय प्रशासन की संवादहीनता रही है।
विद्यार्थियों की विभिन्न मांगों को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से लगातार आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से वार्ता की पहल नहीं की गयी। इस बीच कुलपति का पुतला जलाने के बाद शुरू हुए प्रदर्शन में शामिल होने वाले अभाविप के कार्यकर्ताओं को निलंबित कर दिया।
संगठन के लोग इस मुद्दे पर भी विवि प्रशासन ने वार्ता करना चाहते थे। इसके बावजूद बातचीत का रास्ता नहीं चुना गया। सुरक्षाकर्मियों से आंदोलनकारियों पर हमले कराये गये। छात्रों की ओर से अपनी सुरक्षा में की गयी कार्रवाई को विवि प्रशासन कुलपति और कुलसचिव पर हमले का नाम दे रहा है।
कैसे शुरू हुआ विवाद
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता शुक्रवार को कुलपति प्रो. राजेश सिंह से वार्ता के लिए पहुंचे थे। कुलपति ने वार्ता का समय नहीं दिया। लिहाजा छात्र प्रदर्शन करने लगे। अपराह्न तीन बजे कुलपति पुलिस की सुरक्षा में कार्यालय से बाहर निकले। प्रदर्शन कर रहे अभाविप के कार्यकर्ताओं को लगा कि वीसी वार्ता करने आ रहे हैं। हकीकत ऐसी नहीं थी। कुलपति छात्रों की बात सुने बगैर लिफ्ट की ओर जाने लगे। कुलपति को जाते हुए देखकर कार्यकर्ता अपनी बात करने उनकी ओर बढ़े। इसी दौरान सुरक्षा में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों को धक्का देना शुरू कर दिया। इससे छात्रों का आक्रोश भड़क गया। इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट हो गयी। भीड़ से बाहर निकलने में कुछ अभाविप के कार्यकर्ता कुलपति के काफी करीब तक पहुंच गये।
इसी बीच मौके पर मौजूद कुलसचिव प्रो. अजय सिंह छात्रों को डांट फटकार करने लगे। इससे भीड़ में शामिल कुछ छात्र भड़क गये। उन्होंने कुलसचिव को पीछे हटने के लिए धक्का दिया। इससे कुलसचिव जमीन पर गिर गए। भारी हंगामे और भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान सुरक्षा कर्मियों और विद्यार्थियों की लड़ाई में कुलसचिव को चोट लग गयी। इसमें कई विद्यार्थियों को भी चोट आयी। अपनी बात नहीं सुने जाने से नाराज होकर विद्यार्थियों से तोड़फोड़ की। इस दौरान चीफ प्राक्टर सत्यपाल सिंह को भी चोट आयी। भीड़ में शामिल कुछ विद्यार्थियों ने भवन की दूसरी मंजिल से गमले फेंके। यह नीचे से गुजर रही गाड़ियों पर गिरे। दावा किया जा रहा है कि इसमें कुलपति की गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गयी। हंगामे के बाद पुलिस दर्जनभर विद्यार्थियों को हिरासत में लेकर कैंट थाना गयी। इससे अभाविप के कार्यकर्ता और नाराज हो गये। आराेप लगाया कि पुलिस एक पक्षीय कार्रवाई कर रही है।
कुछ ऐसी है विवाद की पूरी पृष्टभूमि
गोरखपुर विवि में शुरू हुए पूरे विवाद की पृष्टभूमि गत 13 जुलाई को तैयार हो गयी। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे अभाविप के कार्यकर्ताओं ने कुलपति का पुतला जलाया। इसे रोकने का प्रयास करने पर विवाद हो गया। मौके पर मौजूद प्राक्टोरियल बोर्ड और प्रदर्शनकारियों में कहासुनी हो गयी। विवि प्रशासन ने इस मामले में चीफ प्राक्टर डॉ. सत्यपाल सिह पर हमले का आरोप लगाते हुए सात नामजद सहित कुल 15 अभाविप के कार्यकर्ताओं पर केस करने के लिए कैंट थाने में तहरीर दी। अगले दिन बगैर किसी जांच प्रक्रिया अथवा कारण बताओ नोटिस के बगैर चार कार्यकर्ताओं को विवि ने निलंबित कर दिया। विवि में इनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया। इसको लेकर आक्रोश भड़क गया।
घटना पर क्या बोले विवि के पूर्व कुलपति
पूरे घटनाक्रम को लेकर विवि के पूर्व कुलपतियों ने अलग-अलग मीडिया समूहों ने बात की। सबने यह माना है कि प्रदर्शन अथवा आंदोलन कर रहे छात्रों की बात सुनी जानी चाहिये। विवि छात्रों के लिए ही होता है, अगर उनकी समस्याओं को नजरंदाज किया जाता है तो स्वभाविक तौर पर आक्रोश पैदा होता है। पत्रकारों की ओर से घटना पर मांगी गयी प्रतिक्रिया में पूर्व वीसी प्रो. बीके सिंह ने कहा कि अगर छात्र नेता प्रदर्शन कर रहे हैं तो शांतिपूर्ण तरीके से उनसे वार्ता होनी चाहिये। पूर्व कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने कहा है कि ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। किसी भी समस्या का साथ बैठकर हल निकाला जाना चाहिये। पूर्व वीसी प्रो. पीसी द्विवेदी ने कि अगर छात्रों की समस्या का समय पर समाधान नहीं हुआ तो जाहिर सी बात है, वह उग्र होंगे। समय रहते समस्याओं का समाधान होना चाहिये।