राजस्थान : जयपुर में गत शुक्रवार को हुए भीषण अग्निकांड में मृतकों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है, जबकि 80 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 30 की हालत गंभीर बताई जा रही है। इस दुर्घटना के बाद शवों की पहचान में कठिनाई आ रही है, क्योंकि कई मृतकों के शरीर इतनी बुरी तरह से जल गए हैं कि उनकी पहचान करना लगभग असंभव हो गया है। शवों की पहचान के लिए सरकार ने डीएनए परीक्षण करने का फैसला लिया है। अब तक पांच शवों के डीएनए सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
भीषण दुर्घटना का विवरण
यह हादसा 20 दिसंबर को सुबह करीब 6 बजे जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुआ। यहां एलपीजी टैंकर और एक ट्रक के बीच जोरदार टक्कर के बाद एक बड़ा धमाका हुआ। धमाके के बाद आग की लपटें इतनी तेज थीं कि उन्होंने पास के लगभग 40 वाहनों को चपेट में ले लिया। इस हादसे में कई वाहन जलकर खाक हो गए और यात्री भी जिंदा जल गए। कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें घायल और जलते हुए लोगों की भयावह स्थिति दिखाई दे रही है। हादसे के बाद, घायलों को गंभीर हालत में अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जिनमें से कुछ लोग 50 फीसदी से ज्यादा जल चुके थे।
परमिट का मामला
जांच में यह भी सामने आया है कि जिस बस ने इस हादसे में अपनी भूमिका अदा की, उसका परमिट 16 महीने पहले ही समाप्त हो चुका था। इस खुलासे ने दुर्घटना के कारणों पर सवाल उठाए हैं। अब जांच में यह देखा जाएगा कि क्या परमिट खत्म होने के बावजूद बस का संचालन किया जा रहा था। यह तथ्य दुर्घटना की गंभीरता को और बढ़ाता है, क्योंकि जब एक वाहन का परमिट समाप्त हो जाता है तो उसे चलाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता और यह यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।
घायलों की स्थिति
घायलों में से 30 की हालत गंभीर बनी हुई है, और उनकी स्थिति नाजुक बताई जा रही है। कुछ घायलों के शरीर 50 फीसदी से ज्यादा जल चुके हैं, उन्हें इलाज के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इन घायलों का इलाज बहुत चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि गंभीर जलन के कारण उनकी सेहत पर गहरा असर पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने इस हादसे को गंभीरता से लिया है और राजस्थान के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है। इस हादसे के बाद, राज्य सरकार ने दुर्घटना की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया है। यह समिति हादसे के सभी पहलुओं की जांच करेगी, जिसमें सड़क सुरक्षा, वाहन के परमिट और यात्री सुरक्षा से संबंधित मामलों की जांच भी शामिल है।
जांच की प्रक्रिया
राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांशु पंत के निर्देश पर, एक संयुक्त जांच दल गठित किया गया है। यह दल हादसे के कारणों की जांच करेगा और यह पता लगाएगा कि किस विभाग या निर्माण का इसमें दोष था। जांच का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बचा जा सके और सड़क सुरक्षा के मानकों का पालन किया जाए।
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