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झारखंड के इस अस्पताल में 20 हजार डायबिटीज मरीजों का चल रहा इलाज, बच्चे भी चपेट में

by Rakesh Pandey
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हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर :  विश्वभर में 14 नवंबर को विश्व डायबिटीज (मधुमेह) दिवस मनाया जाता है। इसे लेकर जमशेदपुर में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें शहरभर के मधुमेह रोग विशेषज्ञ, फिजिशियन, किडनी रोग विशेषज्ञ, नेत्र चिकित्सक सहित अन्य उपस्थित रहेंगे। अपना अनुभव साझा करेंगे। चूंकि, डायबिटीज का असर शरीर के कई प्रमुख अंगों पर पड़ता है।

आइए, अब डायबिटीज के बारे में

शहर के जाने-माने मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी जायसवाल से जानते हैं।

टीएमएच में 20 हजार रोगियों का इलाज चल रहा

कोल्हान प्रमंडल में टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) सबसे ज्यादा बेड वाला अस्पताल है। यहां पर 900 से अधिक मरीजों को भर्ती करने की सुविधा है। टीएमएच के मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. आकाश पाणिग्रही कहते हैं कि टीएमएच में लगभग 20 हजार मधुमेह रोगियों का इलाज चल रहा है। इसमें बच्चे से लेकर बड़े व बुजुर्ग सभी शामिल हैं। चिंता का विषय यह है कि मधुमेह अब बच्चों में भी तेजी से बढ़ने लगी है। 30 वर्ष से नीचे के लगभग 20 प्रतिशत मरीज शामिल हैं। इसमें 8 से 10 उम्र तक के बच्चे भी शामिल हैं।

भविष्य को खतरा

डॉ. अश्विनी जायसवाल कहते हैं कि जरा सोचिए। इतने कम उम्र में अगर डायबिटीज हो जाए तो वह बच्चा आगे भविष्य में क्या करेगा? यह सोचने वाली बात है। चूंकि, मधुमेह शरीर के कई प्रमुख अंगों को डैमेज कर देता है। इसमें आंख से लेकर किडनी, हार्ट, नर्व सहित अन्य शामिल हैं। ऐसे में जब बच्चों की उम्र कुछ करने की होगी तब तक उसे कई सारी बीमारियां घेर लेंगी। जब सेहत ही ठीक नहीं रहेगु तो जीवन में लक्ष्य कैसे हासिल कर पाएंगे। यह गंभीर विषय है।

2050 तक सबसे अधिक मरीज भारत में होंगे

डॉ. अश्विनी जायसवाल कहते हैं कि जिस तरह से डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ी है। उसके हिसाब से वर्ष 2050 तक भारत में सबसे अधिक मरीज हो जाएंगे। वर्तमान में डायबिटीज के सबसे अधिक मरीज चीन में हैं और भारत दूसरा स्थान पर है लेकिन आने वाला समय चिंताजनक है। इसपर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।

डायबिटीज बढ़ने का मुख्य कारण गलत जीवनशैली

डायबिटीज बढ़ने का मुख्य कारण गलत जीवनशैली है। इसमें खान-पान से लेकर शारीरिक व्यायाम नहीं करना और बढ़ते तनाव मधुमेह होने का मुख्य वजह है। वहीं, आजकल के बच्चे भी शारीरिक रूप से फिट नहीं हैं। खेलने-कूदने की उम्र में ज्यादातर बच्चे अपना अधिक समय स्मार्टफोन, टीवी पर बिताते हैं। इसकी वजह से मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। शारीरिक गतिविधि न होने और जंक फूड, चाकलेट, मिठाई, मीठे पेय और स्नैक्स खाने से डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ रहा है।

डिजिटल युग में बच्चे फिजिकल एक्टिविटीज कम कर रहे

भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, जिसकी वजह से बच्चों के जीवन शैली में बड़े बदलाव हुए हैं। डिजिटल युग में बच्चे फिजिकल एक्टिविटीज कम कर रहे हैं। उनकी डाइट भी अनहेल्दी होती है। बच्चे ज्यादा मीठी चीजें खाना पसंद करते हैं और कैलोरी से भरपूर स्नैक्स खाते हैं। जिससे वजन बढ़ता है, जो टाइप 2 मधुमेह का कारण है।

बच्चों में बढ़ रहे डायबिटीज को इस तरह से रोका जा सकता है

– सभी सरकारी व निजी स्कूलों में बच्चों के शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने का उपाय हो।
– तनाव को कम करने का उपाय ढूंढना होगा।
– 7 से 8 घंटे नींद जरूरी है।
– गलत जीवनशैली को ठीक करना होगा।
– जंक फूड, पाकेट फूड, कोल्ड ड्रिंक्स व पाकेट जूस का सेवन नहीं करें।

डायबिटीज के लक्षण

– बार-बार भूख लगना।
– अचानक वजन कम होना।
– हाथों या पैरों में झुनझुनी होना।
– थकावट, कमजोरी महसूस होना।
– शरीर के किसी अंगों में चोट लग जाए तो घावों को भरने में काफी समय लगना।
– प्यास अधिक लगना।
– रात में काफी अधिक पेशाब आना।
– बालों का झड़ना।

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