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48वां अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला : 27 लाख लोगों ने की शिरकत, 25 करोड़ की किताबें बिकीं

by Rakesh Pandey
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कोलकाता: 48वें अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेले का रविवार को शानदार समापन हुआ। इस बार मेला 12 दिनों तक चला, जिसमें रिकॉर्ड 27 लाख लोगों ने शिरकत की और किताबों की बिक्री 25 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के मानद महासचिव सुधांशु शेखर डे ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल मेला दो दिन कम चला, लेकिन फिर भी बिक्री और दर्शकों की संख्या ने यह साबित कर दिया कि डिजिटल युग में भी पुस्तकों की लोकप्रियता बरकरार है।

गिल्ड के अध्यक्ष त्रिदीब कुमार चटर्जी ने इस सफलता को एक सकारात्मक संकेत बताया, जिसमें मेला कम समय में भी पहले से अधिक सफल हुआ। उनका कहना था, “पिछले साल मेला 14 दिनों तक चला था और इसमें 28 लाख लोग आए थे, लेकिन इस साल 12 दिन में भी हमने अच्छा रिकॉर्ड बनाया। यह दिखाता है कि लोग अब भी किताबों को अपनी पसंदीदा चीज मानते हैं।”

समापन समारोह का आयोजन साल्ट लेक स्थित ‘बोईमेला प्रांगण’ में हुआ, जहां राज्य के मंत्री फिरहाद हाकिम, ब्रात्य बसु और अरूप विश्वास मौजूद थे। बिधाननगर की मेयर कृष्णा चक्रवर्ती भी इस अवसर पर उपस्थित थीं। ब्रात्य बसु ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल को सराहा, जिसके कारण कोलकाता पुस्तक मेला हर साल और भव्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की दिशा में दुर्गा पूजा कार्निवल की लोकप्रियता बढ़ी है, ठीक उसी तरह कोलकाता पुस्तक मेला भी हर वर्ष बड़ा और अधिक लोकप्रिय हो रहा है।

इस साल के पुस्तक मेले का थीम देश जर्मनी था, और जर्मनी का विशेष मंडप दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहा। जर्मनी के मंडप को किताबों के ढेर जैसा डिजाइन किया गया था, जिसे दर्शकों ने बहुत सराहा। यह पहला अवसर था जब जर्मनी को पुस्तक मेला का थीम देश चुना गया था।

इसके अलावा, मेले के शुभंकर ‘हाशो और हाशो’ भी बच्चों और बड़ों में समान रूप से लोकप्रिय रहे। इस साल के मेले में कई पुरस्कार भी दिए गए, जिनमें ‘सबसे खूबसूरत स्टॉल’ का पुरस्कार अर्जेंटीना को मिला। वहीं, ‘आजकाल पब्लिशर्स’ को खुले मैदान में बड़े क्षेत्रीय प्रकाशकों की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ स्टॉल का पुरस्कार मिला, जबकि ‘हैचेट बुक पब्लिशिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ को हॉल के अंदर बड़े स्टॉल की श्रेणी में पहला स्थान दिया गया।

इस बार मेले में 1000 से अधिक प्रकाशकों ने भाग लिया, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, नेपाल, स्पेन, पेरू, ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका जैसे देशों की किताबें शामिल थीं। मेला इस बार पूरी तरह खुले वातावरण में आयोजित किया गया, जिससे दर्शकों को स्वतंत्र रूप से घूमने और किताबों का अवलोकन करने का बेहतर अनुभव मिला।

इसके अलावा, इस साल एक विशेष ‘प्रीमियर एरिया’ बनाया गया, जो विशेष रूप से अंग्रेजी भाषा के प्रकाशकों के लिए था। इस पहल के जरिए अंग्रेजी प्रकाशकों की किताबें अधिक पाठकों तक पहुंच सकी, जिससे उनके लिए एक नया अवसर पैदा हुआ। त्रिदीब कुमार चटर्जी ने बताया कि इस बदलाव से अंग्रेजी प्रकाशकों को बंद इनक्लोजर की बजाय खुले स्थान में किताबें प्रदर्शित करने का मौका मिला, जिससे पाठकों की भागीदारी बढ़ी और प्रकाशक भी इस बदलाव से खुश थे।

इस साल का कोलकाता पुस्तक मेला एक बार फिर से साबित कर दिया कि किताबों की दुनिया में उत्साह और लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, चाहे तकनीकी दुनिया कितनी भी विकसित क्यों न हो। पुस्तक मेला एक बार फिर साबित कर रहा है कि किताबें अभी भी पाठकों के दिलों में एक खास स्थान रखती हैं।

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