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रांची में 5 साल की बच्ची को ‘गुइलेन-बैरी सिंड्रोम’, वेंटिलेटर पर जिंदगी की जंग, परिजनों ने मांगी मदद

by Vivek Sharma
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रांची: झारखंड की राजधानी रांची में एक 5 वर्षीय बच्ची गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome, GBS) से पीड़ित है। दीपाटोली निवासी यह बच्ची हाल ही में अपने माता-पिता के साथ महाराष्ट्र से लौटी थी, जिसके बाद उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। वर्तमान में बच्ची बरियातू स्थित बालपन अस्पताल में भर्ती है और बीते 12 दिनों से वेंटिलेटर पर है।

परिजनों ने की आर्थिक मदद की अपील

परिजनों के अनुसार, महाराष्ट्र से लौटने के बाद बच्ची के दोनों पैर अचानक काम करना बंद कर दिए। जब डॉक्टर अजय घोष से परामर्श लिया गया, तो उन्होंने तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी। परिजनों ने पहले रिम्स में भर्ती करवाने की कोशिश की, लेकिन वेंटिलेटर की सुविधा नहीं होने के कारण बच्ची को वहां भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद उसे बालपन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है।

परिजनों का कहना है कि अब तक इलाज में काफी पैसे खर्च हो चुके हैं, और अब वे अस्पताल के भारी शुल्क का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग की मांग की है ताकि बच्ची का सही तरीके से इलाज हो सके।

क्या है गुइलेन-बैरी सिंड्रोम?

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ नर्व कोशिकाओं पर हमला कर देती है। इससे नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा और यहां तक कि सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है।

महाराष्ट्र और राजस्थान में भी सामने आए कई मामले

महाराष्ट्र और राजस्थान में भी इस बीमारी के कई मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि यह कोई नई बीमारी नहीं है और न ही संक्रामक है, लेकिन इसके गंभीर मामलों में मरीज को वेंटिलेटर तक की जरूरत पड़ सकती है।

स्वास्थ्य विभाग का क्या कहना है?

राज्य सरकार फिलहाल केंद्र की गाइडलाइन का इंतजार कर रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस बीमारी को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है, लेकिन समय पर इलाज जरूरी है। परिजनों द्वारा सरकार से मदद की गुहार लगाए जाने के बाद अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।

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