Home » होलिका दहन आज, जानें क्यों किया जाता है होलिका दहन? क्या है इसके पीछे की कहानी

होलिका दहन आज, जानें क्यों किया जाता है होलिका दहन? क्या है इसके पीछे की कहानी

by Rakesh Pandey
Holika Dahan 2024
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

Holika Dahan 2024: आज होलिका दहन है, हालांकि भद्रा का साया होने के कारण आज होलिका दहन का मुहूर्त रात 11 बजकर 14 मिनट के बाद ही है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है। होली साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह दो दिन का त्योहार है, जिसमें पहले दिन होलिका दहन (Holika Dahan) जलाई जाती है, तो दूसरे दिन रंगों वाली होली खेलते हैं। इन दोनों ही दिनों का अपना महत्व होता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है।

Holika Dahan – पूजा

होलिका दहन करने के लिए हफ्ताभर पहले से ही गली के चौक पर या किसी मैदान में लकड़ियां, कंडे और झाड़ियां इकट्ठी करके होलिका तैयार की जाती है। इस लकड़ियों के ढेर को होलिका के रूप में होलिका दहन के दिन जलाया जाता है। होलिका का पूजन करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं भी बनाई जाती हैं। पूजा सामग्री में रोली, फूल, कच्चा सूत, फूलों की माला, साबुत हल्दी, मूंग, गुलाल, नारियल, बताशे और 5 से 7 तरह के अनाज का इस्तेमाल होता है। इसके बाद विधि-विधान से होलिका की परिक्रमा की जाती है और होलिका दहन होता है।

Holika Dahan- पूजन विधि

होलिका दहन के दिन नहा-धोकर स्वच्छ कपड़े पहनें पूजन सामग्री को एक थाली में रखें। भगवान गणेश , मां दुर्गा, हनुमान जी, भगवान नरसिंह, गिरिराज भगवान और राधा-राधी का ध्यान करें। लकड़ी के ऊपर सारी पूजा सामग्री अर्पित करें। फिर घी चढ़ाकर अग्नि जलाएं और फिर परिवार संग उसकी परिक्रमा करें। होलिका अग्नि को जल अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और अग्नि को प्रणाम करें।

Holika Dahan – क्यों किया जाता है

होलिका दहन से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कहानी है भक्त प्रहलाद और होलिका की, विष्णु पुराण के अनुसार प्रहलाद बहुत बड़े विष्णु भक्त थे और हर वक्त नारायण का ध्यान और जाप करते रहते थे, लेकिन ये बात उनके दैत्य पिता हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं थी। दैत्यराज हिरण्यकश्यप के पास वरदान था कि वह न तो पृथ्वी पर मरेगा ना ही आकाश में, न दिन में मरेगा न रात में, न घर में मरेगा न बाहर, न अस्त्र से मरेगा न शस्त्र से, न मानव से मारेगा न पशु से। जिसकी वजह से वो खुद को ईश्वर समझने लगा था और घमंड में वो इस कदर डूब गया था कि वो अपने बेटे प्रहलाद को ही यातनाएं देने लग गया था। वो बार-बार प्रहलाद से कहता था कि वो नारायण की पूजा ना करें लेकिन जब उसके बेटे ने उनकी बात नहीं सुनी तो उसने एक दिन गुस्से में आकर अपनी बहन होलिका, जिसे कि आग में ना जलने का वरादन प्राप्त था, से कहा कि वो प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर जाए जिससे प्रहलाद जलकर मर जाए। लेकिन हुआ उसका उल्टा ही, होलिका जल गई और प्रहलाद सुरक्षित आग से निकल आया क्योंकि होलिका ने अपने वरदान का गलत प्रयोग करने की सोची इसलिए उसके वरदान का असर खत्म हो गया और इसके बाद ही भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण करके हिरण्यकश्यप को गोदूली बेला में वध किया था। इस घटना की याद में लोग होलिका जलाते हैं और एक राक्षस के अंत की खुशी में होली का पर्व मनाते हैं।

READ  ALSO: कब है होलिका दहन? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Related Articles