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बदले की भावना से बुलडोजर चलवाया तो होगी कोर्ट की अवमानना

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि किसी के दोषी साबित होने के बाद भी निजी संपत्ति पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इसके लिए कुछ दिशा-निर्देश तय होने चाहिए ताकि नियम-कानून को टूल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाए।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: Bulldozer Action के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपराधी है या दोषी साबित हो चुका है, तो उसके खिलाफ केवल बदले की भावना से बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि पब्लिक प्लेस पर अतिक्रमण किया गया है, तो सार्वजनिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं रोकी जा सकती। फिर भले ही ये कोई मंदिर हो या मस्जिद।

17 सितंबर को कोर्ट की बेंच ने लगाई थी अंतरिम रोक
इस पूरे मामले पर सुनवाई जस्टिस BR गवई औऱ जस्टिस KV विश्वनाथन की बेंच ने की। इससे पहले बेंच की ओर से 17 सितंबर को इस मामले पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 1 अक्तूबर तक बिना इजाजत के कई भी बुलडोजर की कार्रवाई नहीं की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेश के खिलाफ उठाया गया कोई भी कदम अदालत की अवमानना की श्रेणी में आएगा।

एक्शन से पहले नोटिस भेजना होगा जरूरी
उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश औऱ राजस्थान की सरकारों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने दलीलें पेश की। उन्होंने कहा कि बलात्कार, आतंकवाद या हत्या के मामले में भी बुलडोजर की कार्रवाई को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। बुलडोजर एख्शन से पहले नोटिस भेजा जाना चाहिए।

बुलडोजर एक्शन पर तय किए जाएं दिशा-निर्देश
इसके बाद बेंच ने आदेश दिया कि राज्य सरकारों द्वारा बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दिशा-निर्देश तय किए जाने चाहिए। किसी के दोषी साबित होने के बाद भी निजी संपत्ति पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इसके तुषार मेहता ने कहा कि ऐसी कार्रवाइयों को सांप्रदायिक रंग दिया जाता है।

गिराई गई हैं 4.45 लाख इमारतें
जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि बीते कुछ सालों में करीब 4.45 लाख इमारतें गिराई गई हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने कहा कि एक्शन से पूर्व निष्पक्ष कार्रवाई की जानी चाहिए। सिंह ने कहा कि हम इन कानूनों के दुरुपयोग के खिलाफ हैं न कि इन कानूनों के खिलाफ। अधिवक्ता ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक आरोपी पर गणेश पंडाल पर पत्थरबाजी का इल्जाम लगा और उसी दिन उसका घर तोड़ दिया गया। आगे उन्होंने कहा कि निगम के कानूनों का दुरुपयोग अपराध से लड़ने के प्रावधान के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए।

कार्रवाई से पहले दिया जाए पर्याप्त समय
बुलडोजर को टूल बताते हुए सिंह ने कहा कि लोग इसी की बदौलत चुनाव लड़ रहे हैं। एक याचिकाकर्ता ने कहा कि कार्रवाई के 60 दिन पहले सूचित किया जाना चाहिए। ताकि प्रॉपर्टी के मालिक अपने लिए वकील

कर सकें। इस पर जस्टिस ने विश्वनाथन ने कहा कि उस घर में रहने वाले को कम से कम 10-15 दिन पहले सूचित किया जाना चाहिए ताकि बच्चे व बुजुर्गों की रहने की कोई व्यवस्था की जा सके।

सार्वजनिक स्थलों पर अतिक्रमण के खिलाफ कर सकेंगे कार्रवाई

जस्टिस गवई ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर किए गए अतिक्रमण के मामलों में अदालत बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं करेगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एख और वकील ने कहा कि बुलडोजर शक्ति प्रदर्शन का हथियार बन गया है। टीवी एंकर (TV Anchor) भी बुलडोजर पर बैठकर बाइट्स देते है। एक माहौल तैयार किया गया है कि पहले घर गिराए जाएंगे, फिर कारण बताया जाएगा।

तोड़फोड़ की कार्रवाई की होगी वीडियोग्राफी
जस्टिस विश्नाथन ने कहा कि विध्वंस की पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए। ताकि अदालत में यह पता किया जा सके कि यह वैध है या नहीं। कोर्ट की प्रोसीडिंग के दौरान अदालत ने संयुक्त राष्ट्र (United Nation) के विशेष प्रतिनिधि को हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी और कहा कि हमें किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था की आवश्यकता नहीं है। हमारे पास सुनवाई के लिए पर्याप्त विशषज्ञ है।

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