लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषणा की है कि वह सरकारी नौकरशाहों की पत्नियों को पद देने की पुरानी प्रथा को खत्म कर देगी। यूपी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी कि अब यह औपनिवेशिक परंपरा, जिसमें ब्यूरोक्रेट की पत्नियों को सरकारी समितियों और ट्रस्टों में पद दिए जाते थे, समाप्त कर दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मई 2024 में इस प्रथा को ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ करार देते हुए कहा था कि यह न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि अपमानजनक भी है। कोर्ट ने उदाहरण दिया था कि बुलंदशहर में जिला महिला समिति की अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट की पत्नी को दी जाती थी और पूछा था कि यह पद केवल डीएम की पत्नी को क्यों दिया जाता है। कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या यह निर्णय नेतृत्व क्षमता या सामाजिक सेवा के आधार पर नहीं होना चाहिए।
इसके बाद, कोर्ट ने यूपी सरकार को सहकारी समितियों, ट्रस्टों और सोसाइटी के कानूनों में संशोधन करने का निर्देश दिया, ताकि ये संस्थाएं लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हों। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कोई संस्था सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त करती है, तो उसे नए मॉडल बायलॉज का पालन करना होगा, अन्यथा उसे सरकारी सहायता से वंचित किया जा सकता है।
यूपी सरकार ने बताया कि इस संशोधन का मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इन संस्थाओं का संचालन लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए सदस्यों द्वारा किया जाए।