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यूपी में लागू होगा ‘एक तिथि, एक त्योहार’ का नियम : मुख्यमंत्री के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने तैयार की रूपरेखा

मुख्यमंत्री के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इस कार्य की रूपरेखा तैयार की है, जिसे 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। इस योजना में प्रदेश के विभिन्न पंचांगकारों की सहमति और काशी के विद्वानों की राय को शामिल किया गया है।

by Anurag Ranjan
यूपी में लागू होगा 'एक तिथि, एक त्योहार' का नियम : मुख्यमंत्री के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने तैयार की रूपरेखा
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वाराणसी : उत्तर प्रदेश में अब ‘एक तिथि, एक त्योहार’ का नियम लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इस नियम को लागू करने के लिए पूरी योजना तैयार कर ली है। इस योजना के तहत, अब प्रदेश के सभी व्रतों, पर्वों और अवकाशों की तिथियों का निर्धारण बनारस के पंचांग के आधार पर होगा। काशी विद्वत परिषद ने इस कार्य को प्रमुख पंचांगकारों के साथ मिलकर तैयार किया है।

एकरूपता लाने की पहल

काशी के पंचांगों में अब एकरूपता लाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसके तहत, बनारस से प्रकाशित पंचांगों को राज्यभर के पंचांगों के साथ मिलाकर एक सामान्य पंचांग तैयार किया जाएगा। यह पंचांग 2026 में पूरे प्रदेश के लिए एक तिथि और एक त्योहार वाली प्रणाली को लागू करेगा। इस पंचांग का लोकार्पण नवसंवत्सर (2026) के मौके पर होगा, जिससे प्रदेश में व्रत, पर्व और त्योहारों को लेकर होने वाले अंतर को समाप्त किया जा सकेगा।

क्या बदलने जा रहा है

मुख्यमंत्री के निर्देश पर काशी विद्वत परिषद ने इस कार्य की रूपरेखा तैयार की है, जिसे 7 अप्रैल को मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। इस योजना में प्रदेश के विभिन्न पंचांगकारों की सहमति और काशी के विद्वानों की राय को शामिल किया गया है। अब प्रदेशभर के लोग एक समान पंचांग का पालन करेंगे, जिससे धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से होने वाले मतभेद और भ्रम को दूर किया जा सकेगा।

विभिन्न त्योहारों पर अंतर की समस्या का समाधान

अभी तक, प्रदेश में विभिन्न त्योहारों की तिथियों में अंतर होता था। जैसे कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवरात्रि, रामनवमी, अक्षय तृतीया, गंगा दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, विजयादशमी, दीपावली, अन्नकूट, नरक चतुर्दशी, भैया दूज, धनतेरस, और कार्तिक एकादशी जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों की तिथियों में भिन्नता पाई जाती थी। अब, काशी विद्वत परिषद के प्रयासों से इन तिथियों में एकरूपता लाई जाएगी।

नवसंवत्सर पर प्रकाशित होगा नया पंचांग

2026 में आने वाले नवसंवत्सर के दिन, ‘एक तिथि, एक त्योहार’ वाली योजना के तहत तैयार किया गया पंचांग आम जनता के लिए प्रकाशित किया जाएगा। इस पंचांग का प्रकाशन अन्नपूर्णा मठ मंदिर की ओर से किया जाएगा। इस पंचांग के जरिए, प्रदेश के सभी त्योहारों की तिथियां और व्रतों के निर्धारण में होने वाले मतभेद समाप्त हो जाएंगे, जिससे समाज में धार्मिक आयोजनों की एकरूपता आएगी और लोग एक साथ मिलकर इन अवसरों को मनाने में सक्षम होंगे।

काशी के पंचांगों में आई एकरूपता

काशी के पंचांगों में पहले विभिन्न प्रकार की तिथियों और त्योहारों को लेकर भिन्नता थी। लेकिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय, काशी विद्वत परिषद और अन्य पंचांगकारों के सहयोग से अब इन पंचांगों को एक समान रूप में लाया गया है। इसके बाद, बीएचयू से बनने वाले विश्वपंचांग, ऋषिकेश, महावीर, गणेश आपा, आदित्य और ठाकुर प्रसाद के पंचांगों को भी एक ही रूप में समाहित किया गया है।

समाज में भ्रम का होगा समाधान

बीएचयू के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय का मानना है कि पंचांगों में एकरूपता आने से समाज में उत्पन्न होने वाले भ्रम को समाप्त किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि व्रत और पर्वों के निर्धारण में केवल उदया तिथि का ही महत्व नहीं होता है। रामनवमी, दीपावली और शिवरात्रि जैसे व्रतों के लिए विशेष समय के महत्व को ध्यान में रखते हुए तिथियों का निर्धारण किया जाता है।

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