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नीतीश कुमार की अजीब हरकत! कार्यक्रम के मंच पर अफसर के सिर पर रख दिया गमला

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर चर्चा में हैं। एलएन मिश्रा इंस्टिट्यूट के कार्यक्रम में उन्होंने अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के सिर पर गमला रख दिया। जानिए पूरी घटना और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं।"

by Neha Verma
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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी अजीबोगरीब हरकत के चलते सुर्खियों में हैं। सोमवार को पटना स्थित ललित नारायण मिश्रा इंस्टिट्यूट में आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में उन्होंने ऐसा काम कर दिया जिसे देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। मुख्यमंत्री ने मंच पर मौजूद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के सिर पर अचानक गमला रख दिया।

कैसे हुआ पूरा वाकया?


कार्यक्रम के दौरान एस सिद्धार्थ ने नीतीश कुमार का स्वागत एक गमला देकर किया। मुख्यमंत्री ने स्वागत स्वरूप मिले उस गमले को हाथ में लेने के बजाय सीधे अधिकारी के सिर पर रख दिया। यह दृश्य कुछ सेकेंड्स के लिए सभी को चौंका गया, फिर लोग हंस पड़े। हालांकि, अधिकारी ने बिना कोई प्रतिक्रिया दिए शांति से गमले को उतारकर अलग रख दिया।

मुख्यमंत्री ने की करोड़ों की योजनाओं की घोषणा


इस मौके पर नीतीश कुमार ने 20 सहायक अध्यापकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। साथ ही 2.87 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले एनेक्सी भवन, 4.90 करोड़ के वार्डन ब्लॉक और 5.3 करोड़ रुपये के स्टार्टअप ब्लॉक का शिलान्यास भी किया।

पहले भी रह चुके हैं विवादों में


यह कोई पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने अजीब व्यवहार के कारण चर्चा में आए हों। 20 मार्च 2025 को पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सेपक टाकरा वर्ल्ड कप के उद्घाटन के दौरान राष्ट्रगान के बीच हंसते और हाथ जोड़ते देखे गए थे। वहीं, 30 जनवरी को गांधी जी की पुण्यतिथि पर ताली बजाने पर उनकी आलोचना हुई थी। इससे पहले वे मंत्रियों के माथे पर हाथ रखने और पीएम मोदी के पांव छूने जैसी हरकतों को लेकर भी चर्चाओं में रह चुके हैं।

विपक्ष को मिला नया मुद्दा


मुख्यमंत्री की इस हरकत के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्ष इसे प्रशासनिक मर्यादाओं का उल्लंघन बता रहा है और नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर सवाल उठा रहा है। सोशल मीडिया पर भी यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है और लोग इसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

क्या यह व्यवहार एक मुख्यमंत्री को शोभा देता है?


इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रदेश के मुखिया का यह आचरण एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की गरिमा के अनुरूप है? क्या यह अधिकारियों के साथ किए जाने वाले व्यवहार का आदर्श उदाहरण हो सकता है।

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