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Jamshedpur Narmadeshwar Mahadev Temple : जमशेदपुर में श्री श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण पूरा, जानें मध्यप्रदेश में कहां से आया है शिवलिंग

मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद धूमधाम से शुरू है प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ

by Mujtaba Haider Rizvi
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Jamshedpur : जमशेदपुर के मानगो में बालिगुमा बागान एरिया में वर्षों पुरानी एक बड़ी धार्मिक अपेक्षा अब पूरी हो गई है। श्री श्री नर्मदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कार्य पूरी तरह संपन्न हो गया है। बस्तीवासियों की सामूहिक मेहनत, समर्पण और सहयोग से यह सपना साकार हुआ है। मंदिर निर्माण के बाद पांच दिवसीय शिव परिवार प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, बालिगुमा में मंदिर की कमी लंबे समय से खल रही थी। पूजा-पाठ के लिए उन्हें कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। मोहल्ले के बीच मंदिर निर्माण की योजना काफी समय से चल रही थी, लेकिन जमीन की अनुपलब्धता के कारण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा था। तब मोहल्ले के निवासी एवं सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त नंदू प्रसाद ने अपनी एक कट्ठा जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान में दी। इसके बाद स्थानीय लोगों ने मिलकर सहयोग से निर्माण का काम शुरू किया, जो लगभग एक साल में पूरा हुआ है।

इस मंदिर में मध्य प्रदेश की पवित्र नर्मदा नदी से लाए गए भगवान शिव के नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की गई है। प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ का संचालन प्रयागराज से आए पंडित आचार्य राजकुमार मिश्रा और उनके ग्यारह सदस्यीय दल द्वारा किया जा रहा है।

कार्यक्रम के पहले दिन कलश यात्रा और पंचांग पूजन हुआ। दूसरे दिन मंडप प्रवेश और जलाधिवास सम्पन्न हुआ। तीसरे दिन शिवलिंग को नगर भ्रमण पर ले जाया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। नगर भ्रमण कार्यक्रम में पूर्व भाजपा नेता विकास सिंह ने भी भाग लिया और कहा कि “बालिगुमा बागान क्षेत्र के लोगों का वर्षों का सपना आज साकार हुआ है।”

पांच दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हजारों लोगों को आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से नंदू प्रसाद, सुरेंद्र प्रसाद सिंह, गेना सिंह, शिव शंकर राय, विकास सिंह, अविनाश डोगरा, मुन्ना प्रसाद, शंकर महतो, कुणाल सिंह, चंदन सिंह, विवेक प्रसाद, गुप्तेश्वर प्रसाद, धन सिंह, मुन्ना सिंह, अनिल प्रसाद और उमेश प्रसाद सहित कई स्थानीय लोग सक्रिय रूप से जुड़े रहे।

इस मंदिर के निर्माण से न केवल एक धार्मिक केंद्र की स्थापना हुई है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक चेतना को भी नया बल मिला है। यह आयोजन मानगो-बलिगुमा क्षेत्र और झारखंड के धार्मिक मानचित्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है।

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