RANCHI: कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने केंद्र सरकार पर झारखंड में पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के आरक्षण विधेयक को लटकाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगर आजादी के समय भाजपा की सरकार होती, तो संविधान में वंचित समाज के अधिकारों का समावेश नहीं होता। प्रदीप यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि झारखंड में पिछड़ों की आबादी लगभग 55% है, लेकिन आरक्षण की सीमा 50% के भीतर रखी गई है।
उन्होंने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 1993 में 69% आरक्षण लागू हुआ और 1994 में कांग्रेस सरकार ने 76वां संविधान संशोधन कर उसे नौवीं अनुसूची में शामिल किया। मौके पर राकेश सिन्हा, सोनाल शांति, कमल ठाकुर, अभिलाष साहू और राजन वर्मा भी मौजूद थे।
पिछड़ों के लिए सीमा बढ़ाने की मांग
उन्होंने सवाल किया कि जब केंद्र सरकार 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू कर सकती है, तो पिछड़ों के लिए 50% की सीमा क्यों नहीं हटाई जा सकती।झारखंड सहित कई राज्यों ने इस सीमा को बढ़ाने का प्रयास किया है लेकिन केंद्र सरकार चुप है। उन्होंने बताया कि झारखंड विधानसभा में दो बार सर्वसम्मति से 77% आरक्षण का प्रस्ताव पारित हुआ, लेकिन पहले राजभवन और अब केंद्र सरकार इस पर मौन है। कांग्रेस इस चुप्पी को तोड़ने के लिए 6 अगस्त को राजभवन के समक्ष ओबीसी विभाग की अगुवाई में महाधरना आयोजित करेगी।