चाईबासा : झारखंड आंदोलन के प्रणेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में सोमवार को सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। किडनी में संक्रमण और ब्रोंकाइटिस की वजह से वे लंबे समय से बीमार थे। इस दुखद अवसर पर चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव ने गहरा शोक प्रकट किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा ‘निशब्द हूँ, झारखंड की आत्मा से एक युग का अंत। नहीं रहे मेरे गुरुजी..!’

विधायक उरांव ने कहा कि दिशोम गुरु सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक विचार और आंदोलन की आत्मा थे। ‘बाबा की बात ही अलग थी। बाबा ने अलख जगाया, झारखंड बनाया और हम सभी को पहचान दिलाई’।
शिबू सोरेन को उन्होंने अपना राजनीतिक मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि बाबा का संघर्ष, उनकी सादगी और आदिवासी हितों के लिए उठाई गई आवाज झारखंड के हर जन-जन के दिल में बसी है। सुखराम उरांव ने यह भी कहा कि शिबू सोरेन का जाना व्यक्तिगत रूप से उनके लिए गुरु के बिछड़ने जैसा है। उन्होंने कहा कि वे हमेशा बाबा की सीख को आत्मसात कर जनसेवा के रास्ते पर चलते रहेंगे। झारखंड की राजनीति में यह शून्य भरना मुश्किल होगा।

शिबू सोरेन का जाना न केवल झारखंड की राजनीति के लिए, बल्कि संपूर्ण समाज के लिए अपूरणीय क्षति : मधु कोड़ा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उनका जाना न केवल झारखंड की राजनीति के लिए, बल्कि संपूर्ण समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कही। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज, किसानों, मजदूरों एवं वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उनकी सरलता, संघर्षशीलता और दूरदर्शिता सदैव हमें प्रेरित करती रहेगी।ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल परिवार को इस गहन दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

शिबू सोरेन कि निधन से आदिवासी समाज ने अपना सच्चा अभिभावक खो दिया : गीता कोड़ा
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं आदिवासी समाज के महान नेता शिबू सोरेन जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद एवं पीड़ादायक है। मैं, गीता कोड़ा, ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। यह केवल झारखंड राज्य की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की अपूरणीय क्षति है। उनके निधन से आदिवासी समाज ने अपना सच्चा अभिभावक खो दिया है।इस दुःख की घड़ी में मैं शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि उन्हें यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
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