रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के प्रणेता शिबू सोरेन का सोमवार सुबह 8:56 बजे दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके राजनीतिक और सामाजिक योगदान को याद किया।
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PM मोदी ने बताया ‘जमीनी नेता’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे, जिन्होंने जनसेवा के क्षेत्र में निरंतर समर्पण के साथ अपनी पहचान बनाई।” पीएम मोदी ने कहा कि वह विशेष रूप से आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के प्रति अत्यंत समर्पित थे। प्रधानमंत्री ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
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लालू यादव ने याद किया ‘घनिष्ठ संबंध’
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पटना में शिबू सोरेन को श्रद्धांजलि दी। लालू ने कहा, “वह दलित और आदिवासियों के महान नेता थे। हमसे उनका घनिष्ठ संबंध था।” उन्होंने शिबू सोरेन के निधन को एक बड़ी क्षति बताते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजनाथ सिंह ने कहा ‘जमीन और जनता से जुड़े रहे’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शिबू सोरेन को याद करते हुए शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “शिबू सोरेन झारखंड के उन कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे, जिन्होंने समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से जनजातीय समाज के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया।” राजनाथ सिंह ने कहा कि शिबू सोरेन हमेशा जमीन और जनता से जुड़े रहे और उनके निधन से उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत दुःख हुआ है।
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अन्य नेताओं ने भी दी श्रद्धांजलि
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने शिबू सोरेन को आदिवासियों की सबसे बुलंद आवाज और सबसे बड़ी पहचान बताया। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने हमेशा गरीबों, मजदूरों और आदिवासियों के हक में आवाज उठाई। शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि राज्यसभा में उनकी सीट शिबू सोरेन के ठीक बगल में थी और वे हमेशा उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछते रहते थे।
संजय राउत ने कहा कि झारखंड के लोगों के लिए वे किसी भगवान से कम नहीं थे। यह दुखद घटना झारखंड के लिए एक युग का अंत है, क्योंकि शिबू सोरेन ने अपने जीवन के हर पड़ाव पर सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने के लिए संघर्ष किया। उनके आदर्श और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करते रहेंगे।
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