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Jharkhand: पिता की मृत्यु के बाद पहली बार मीडिया के सामने आए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बोले- “शब्द नहीं हमारे पास इस क्षति के लिए”

दशकों तक बने रहे आदिवासी समाज की आवाज। शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है।

by Reeta Rai Sagar
Hemant Soren pays tribute to Shibu Soren after his death
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झारखंड: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक संरक्षक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का आज सुबह निधन हो गया। जिस पिता से राजनीति से लेकर जीवन की बारीकियां सीखीं, उनका यूं चले जाने एक अपूरणीय क्षति है। झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने पिता के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “आज का दिन बेहद दुखद है। देश के आदिवासी नायक, जिन्हें दिशोम गुरु के नाम से जाना जाता था, अब हमारे बीच नहीं रहे।”

मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके पिता ने आज सुबह अंतिम सांस ली। उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “उन्होंने अंतिम सांस तक संघर्ष किया। इस महान पुरुष की क्षति पर शोक व्यक्त करने के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं।”

“हमेशा आदिवासियों की आवाज बने रहे दिशोम गुरु”

शिबू सोरेन का जीवन आदिवासी अधिकारों और झारखंड राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष को समर्पित रहा। उन्हें ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि इसलिए मिली, क्योंकि वे दशकों तक आदिवासी समाज की आवाज बने रहे और उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में मजबूती से स्थापित किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, “हमारे पिता की विरासत हमें हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने जो आदर्श और विचार हमें दिए हैं, हम उन्हें आगे बढ़ाएंगे।”

झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन का ऐतिहासिक योगदान

शिबू सोरेन झारखंड राज्य आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने सामाजिक न्याय, आदिवासी स्वाभिमान और क्षेत्रीय अधिकारों के लिए अनगिनत संघर्ष किए। उनका राजनीतिक जीवन न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश में आदिवासी नेतृत्व का प्रतीक बना।

उनका निधन झारखंड की राजनीति के एक युग का अंत है। लेकिन उनकी शिक्षाएं, विचारधारा और संघर्षों की प्रेरणा भावी पीढ़ियों को सदैव मार्गदर्शन देती रहेगी।

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