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Jharkhand JSSC Result : जेएसएससी सहायक आचार्य परीक्षा का रिजल्ट जारी, 15001 में से 9226 पद अब भी रिक्त

by Anand Mishra
Jharkhand JSSC Result
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Ranchi (Jharkhand) : झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (JSSC) ने रविवार देर रात राज्य के मध्य विद्यालयों में सहायक आचार्य की नियुक्ति के लिए आयोजित परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है। हालाँकि, यह परिणाम झारखंड के शिक्षा जगत के लिए एक बड़ी चुनौती और चिंता का विषय बन गया है। कुल 15001 पदों के लिए हुई इस परीक्षा में मात्र 5775 अभ्यर्थी ही सफल हो पाए हैं, जबकि 9226 पद अब भी खाली रह गए।

सामाजिक अध्ययन में सर्वाधिक सफलता, फिर भी पद खाली

सामाजिक अध्ययन विषय में 5002 पदों के लिए 3033 अभ्यर्थी सफल हुए हैं, जिनमें 1864 गैर-पारा और 1169 पारा श्रेणी के उम्मीदवार हैं। इसके बावजूद, इस विषय में भी 1969 पद खाली रह गए, जिसमें गैर-पारा के 671 और पारा के 1298 आरक्षित पद शामिल हैं। जिलों के लिहाज से पलामू जिले ने सर्वाधिक 297 सफल अभ्यर्थी दिए। इसके बाद गिरिडीह (287), चतरा (158), देवघर (164), रांची (176), दुमका (172), धनबाद (132), बोकारो (99), लातेहार (98), लोहरदगा (50), पाकुड़ (80), साहिबगंज (92), सरायकेला (127), गुमला (130), पूर्वी सिंहभूम (131), पश्चिमी सिंहभूम (140), गढ़वा (121), कोडरमा (67), रामगढ़ (48), हजारीबाग (132), जामताड़ा (87) और सिमडेगा (61) सफल उम्मीदवार रहे।

विज्ञान, गणित और भाषा विषयों में सबसे खराब प्रदर्शन

  • विज्ञान एवं गणित : 5008 पदों के लिए सिर्फ 1683 अभ्यर्थी ही चयनित हुए, जिससे 3325 पद खाली रह गए।
  • भाषा विषय : 4991 पदों में से केवल 1059 योग्य अभ्यर्थी मिले। यहाँ रिक्तियों की संख्या 3932 है, जो तीनों विषयों में सबसे अधिक है।

सबसे ज्यादा पद पारा शिक्षकों के खाली रह गए हैं। आरक्षित 7400 पदों में से 5838 अब भी खाली हैं, जबकि गैर-पारा श्रेणी में 7601 पदों में से 3388 ही भर पाए हैं। शिक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इतनी कम सफलता दर से खासकर ग्रामीण और दूरदराज के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ेगा।

आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह परिणाम झारखंड हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन है और न्यायालय के फैसले के बाद इसमें संशोधन किया जा सकता है। पारा शिक्षक संजय कुमार दुबे ने कहा कि यह नियुक्ति प्रक्रिया शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन आधे से भी ज्यादा पद खाली रहने से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

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