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DGP Anurag Gupta : UPSC ने DGP अनुराग गुप्ता के साथ यह क्या कर दिया?… झारखंड के 17 DSP की IPS में प्रोन्नति भी अटकी, क्या है वजह-पढ़ें

by Rakesh Pandey
DGP Anurag Gupta
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Ranchi (Jharkhand) : झारखंड में पुलिस अधिकारियों की प्रोन्नति का रास्ता फिलहाल अटक गया है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अनुराग गुप्ता को झारखंड का पुलिस महानिदेशक (DGP) मानने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। इसी विवाद के चलते राज्य पुलिस सेवा के 17 वरिष्ठ डीएसपी अधिकारियों की भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में प्रोन्नति नहीं हो पाई है। यह मामला राज्य सरकार और यूपीएससी के बीच एक गंभीर प्रशासनिक और संवैधानिक खींचतान का रूप ले चुका है।

DGP Anurag Gupta : विवाद की वजह

राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को आईपीएस संवर्ग में प्रोन्नत करने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में संबंधित राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। इस बार, झारखंड सरकार ने मुख्य सचिव अलका तिवारी, गृह सचिव वंदना डाडेल और डीजीपी अनुराग गुप्ता को बैठक में शामिल होने के लिए नामित किया था।

बैठक से ठीक एक दिन पहले, यूपीएससी ने झारखंड सरकार को एक पत्र भेजकर साफ कर दिया कि वह अनुराग गुप्ता को डीजीपी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। हालांकि, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि उन्होंने गुप्ता को डीजीपी के पद पर नियुक्त किया है, लेकिन यूपीएससी ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, प्रोन्नति समिति की बैठक स्थगित हो गई और अगली तारीख तय नहीं हो पाई है।

DGP Anurag Gupta : इन 17 अधिकारियों की प्रोन्नति रुकी

शिवेंद्र
राधा प्रेम किशोर
मुकेश कुमार महतो
दीपक कुमार
मजरूल होदा
राजेश कुमार
अविनाश कुमार
रौशन गुड़िया
श्रीराम समद
निशा मुर्मू
सुरजीत कुमार
वीरेंद्र कुमार चौधरी
राहुल देव बड़ाईक
खीस्टोफर केरकेट्टा
प्रभात रंजन बरवार
अनूप कुमार बड़ाईक
समीर कुमार तिर्की

ये सभी अधिकारी लंबे समय से अपनी प्रोन्नति का इंतजार कर रहे थे। इस प्रशासनिक गतिरोध के कारण उनके करियर की प्रगति फिलहाल रुक गई है।

आगे क्या?

इस घटना ने झारखंड सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। यूपीएससी के इस रुख के बाद, सरकार को नए सिरे से डीजीपी की नियुक्ति पर विचार करना पड़ सकता है। जब तक यह विवाद सुलझ नहीं जाता, तब तक इन अधिकारियों की प्रोन्नति का मामला अटका रहेगा। यह न केवल इन अधिकारियों के लिए निराशाजनक है, बल्कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था के लिए भी एक चिंता का विषय है।

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