

Ranchi (Jharkhand) : झारखंड में शिक्षकों के अंतर-जिला तबादले का विवाद अब झारखंड हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। राज्य सरकार की ‘दंपत्ति स्थानांतरण’ नीति के तहत तबादले का आवेदन खारिज होने से क्षुब्ध फणींद्र मंडल समेत 48 शिक्षकों ने गुरुवार को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने अपने आवेदन खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी है।

याचिकाकर्ताओं का आरोप
अधिवक्ता चंचल जैन के माध्यम से दाखिल की गई इस याचिका में शिक्षकों ने कहा है कि उनके आवेदन सिर्फ इसलिए रद्द कर दिए गए, कि उनके जीवनसाथी (पति या पत्नी) सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। जबकि राज्य सरकार के मेमो नंबर 1607 (06 जुलाई 2023) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि अनुबंधित कर्मचारी के रूप में कार्यरत जीवनसाथी वाले मामलों को भी ‘दंपत्ति स्थानांतरण’ श्रेणी में शामिल किया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह कार्रवाई राज्य सरकार की अपनी ही स्वीकृत नीति के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2024 में कई अन्य शिक्षकों को इसी तरह की परिस्थितियों में ‘दंपत्ति स्थानांतरण’ का लाभ दिया गया है, जबकि उन्हें इस लाभ से वंचित रखा गया।

याचिकाकर्ताओं का हाईकोर्ट से आग्रह
सभी याचिकाकर्ता वर्तमान में राज्य के विभिन्न जिलों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत हैं। उन्होंने अपने जीवनसाथी के कार्यस्थल वाले जिले में तबादले के लिए आवेदन किया था। याचिका के माध्यम से शिक्षकों ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश दिया जाए कि वे उनकी तबादला नीति के अनुसार, उनके आवेदनों पर फिर से विचार करें। साथ ही, उन्हें भी वही लाभ दिया जाए जो समान परिस्थितियों वाले अन्य शिक्षकों को मिल चुका है। इस मामले की सुनवाई अब अदालत में होगी, जिससे शिक्षकों के तबादले की नीति पर एक बड़ा फैसला आ सकता है।
