RANCHI: झारखंड रियल इस्टेट रेगुलेटरी आथोरिटी (रेरा) अब राज्य भर में काम कर रहे बिल्डरों पर सख्त रुख अपनाए हुए है। रेरा ने साफ कर दिया है कि किसी भी हाल में बिल्डरों को राहत नहीं दी जाएगी। ऐसे में रेरा ने सभी बिल्डरों को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिया गया है कि वे 16 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच अपनी क्वार्टर रिपोर्ट जमा करें। यह रिपोर्ट 1 जुलाई से 30 सितंबर तक की अवधि की होगी। रेरा ने बिल्डरों को वार्निंग दी है कि निर्धारित समयसीमा में रिपोर्ट नहीं देने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।
क्वार्टर रिपोर्ट हर हाल में जरूरी
रेरा की ओर से कहा गया है कि बिल्डरों को क्वार्टर रिपोर्ट में फॉर्म सीए और आर्किटेक्ट फॉर्म भरकर जमा करनी होगी। यह रिपोर्ट ऑनलाइन माध्यम से दाखिल की जानी है। नियमों के मुताबिक बिल्डरों को हर क्वार्टर में अपने प्रोजेक्ट की प्रगति और वित्तीय स्थिति की जानकारी रेरा को देनी है। ऐसा न करने पर यह एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा। बता दें कि राज्य में रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट 2016 लागू है।
रेरा में रजिस्टर्ड है 1067 प्रोजेक्ट
अबतक झारखंड रेरा में कुल 1067 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हैं। इनमें 1047 प्रोजेक्ट ऑनलाइन और 620 प्रोजेक्ट ऑफलाइन रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा 19 एजेंट रजिस्टर्ड हैं। अब तक 117 डेवलपर्स को प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए एक्सटेंशन भी दिया गया है। रेरा अधिकारियों के अनुसार पारदर्शिता सुनिश्चित करने और ग्राहकों को समय पर मकान या फ्लैट देने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि इस दौरान बिल्डरों से ग्राहकों को प्रोजेक्ट में देरी पर रेंट वाले मकान का किराया भी दिलाया जा रहा है।
शिकायतों की लंबी लिस्ट
रेरा के पास फिलहाल बड़ी संख्या में मामले दर्ज हैं। कॉज लिस्ट में कुल 8293 मामले दर्ज हैं। वहीं एडजुडिकेटिंग ऑफिसर के पास सुनवाई के लिए 2542 मामले लिस्टेड हैं। दर्ज मामलों में सुनवाई भी हो रही है। लेकिन बिल्डरों की मनमानी से ग्राहकों को परेशानी हो रही है। वहीं बिल्डरों के समय पर नहीं आने से मामलों का निपटारा भी देर से हो रहा है।
ग्राहकों को सही जानकारी नहीं देते बिल्डर
रेरा के अधिकारियों का मानना है कि क्वार्टर रिपोर्ट जमा होने से ग्राहकों को यह स्पष्ट जानकारी मिलती है कि उनका प्रोजेक्ट किस स्टेज में है। उन्होंने जिस प्रोजेक्ट पर निवेश किया वह कबतक तैयार हो जाएगा। साथ ही यह भी सुनिश्चित होता है कि बिल्डर समय पर प्रोजेक्ट पूरा करें। इस प्रक्रिया से खरीदारों के साथ-साथ निवेशकों का विश्वास भी बढ़ा है। वहीं कार्रवाई से अब लोग खुलकर बिल्डरों के खिलाफ कंप्लेन दर्ज कर रहे हैं।
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