Jamshedpur : कुड़मी समुदाय को एसटी में शामिल करने की मांग के विरोध में गुरुवार को आदिवासी समुदाय ने जमशेदपुर में आक्रोश महारैली निकाली। भारतीय आदिवासी भूमिज समाज समेत विभिन्न आदिवासी संगठनों के नेतृत्व में निकली इस महारैली में पटमदा, बोड़ाम, पोटका, जादुगोड़ा समेत जिले भर से आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। मगर, ज्ञापन देने को लेकर प्रदर्शनकारियों और अधिकारियों के बीच घंटों रस्सकाशी चली। प्रदर्शनकारी डीसी कर्ण सत्यार्थी को प्रदर्शन स्थल तक बुलाने की मांग पर अड़े थे जबकि, अधिकारी चाहते थे कि एडीएम को ज्ञापन दे दिया जाए। घंटों चली रस्सकाशी के बाद लगभग पांच बजे डीसी को अपने दफ्तर से उतर कर गेट तक आना पड़ा। यहां आकर डीसी ने गेट खुलवाया और प्रदर्शनकारियों के हाथों से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन लिया। इसके बाद प्रदर्शन खत्म हो गया।
आदिवासी समुदाय जब डीसी दफ्तर के सामने प्रदर्शन कर रहा था तब तकरीबन तीन बजे एडीएम भगीरथ प्रसाद ज्ञापन लेने गेट पर पहुंचे थे। तकरीबन 15 मिनट तक प्रदर्शनकारियों के बीच रह कर एडीएम अपने चैंबर में चले आए। उनके पीछे-पीछे भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के सदस्य और प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल एडीसी कार्यालय आया और वहां एडीएम को ज्ञापन सौंपा। लेकिन, इसी बीच प्रदर्शनकारी नारेबाजी करने लगे कि वह डीसी को ही ज्ञापन सौंपेंगे। लोग नारे लगाने लगे- डीसी को ज्ञापन लेने आना होगा, आना होगा-आना होगा । एडीएम को ज्ञापन देकर प्रतिनिधिमंडल वापस लौटा तो लोगों ने अपनी बात उनके सामने रख दी। फिर नारेबाजी तेज हो गई। डीसी को आना होगा। यह बात एडीएम को बता दी गई। इसी बीच तकरीबन चार बजे डीसी कर्ण सत्यार्थी की गाड़ी डीटीओ गेट से डीसी ऑफिस परिसर में दाखिल हुई। ऑफिस के पोर्टिको में डीसी गाड़ी से उतरे और सीधे अपने चैंबर में चले गए। अब अधिकारी चाहते थे कि प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल डीसी से उनके चैंबर में मिले और ज्ञापन सौंप दे। मगर, प्रदर्शनकारी कह रहे थे कि ऐसा नहीं होगा। डीसी को गेट तक आ कर प्रदर्शनकारियों से ज्ञापन लेना होगा। कई अधिकारियों ने आकर प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश की मगर वह नहीं मानें। इसी बीच, प्रदर्शनकारियों ने तकरीबन साढ़े चार बजे डीटीओ ऑफिस गेट को भी घेर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। बाद में डीसी ने प्रदर्शनकारियों के पास पहुंच कर ज्ञापन लेने का फैसला लिया। पांच बजे डीसी कई अन्य अधिकारियों के साथ गेट तक आए और ज्ञापन लेने के बाद वापस चले गए। इस दौरान डीसी ऑफिस में सुरक्षा के लिहाज से बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था।
इसके पहले, कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने की मांग के खिलाफ जमशेदपुर में आदिवासी समुदाय ने आक्रोश महारैली निकाली। हजारों की संख्या में आदिवासी पारंपरिक पोशाक और हथियारों से लैस होकर जुलूस की शक्ल में साकची स्थित आमबगान मैदान पहुंचे। यहां से सभी डीसी ऑफिस आए और घेराव कर दिया। इस प्रदर्शन में पटमदा, बोड़ाम, घाटशिला, पोटका, परसूडीह, सुंदरनगर, बिरसानगर, पोटका, जादूगोड़ा और करनडीह सहित पूरे जिले के विभिन्न इलाकों से आदिवासी पहुंचे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि कुड़मी समुदाय को एसटी सूची में शामिल करना आदिवासी समाज के अधिकारों पर हमला है। आदिवासी नेता ने कहा, “कुड़मी समाज आदिवासी नहीं है। उनकी एसटी में शामिल होने की मांग जायज नहीं है। यह संवैधानिक रूप से गलत है। आदिवासी समाज इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।”
इस दौरान, डीसी ऑफिस में नारों की गूंज रही।
प्रदर्शन के चलते जाम रहा शहर, मानगो से साकची तक बाधित रही यातायात व्यवस्था
आदिवासी समुदाय के लोगों के इस विशाल प्रदर्शन की वजह से शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई थी। मानगो से लेकर साकची गोलचक्कर तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। मानगो में दोपहर 12 बजे से लेकर करीब 1:30 बजे तक जाम की स्थिति बनी रही। इसी दौरान स्कूलों की छुट्टी भी हो गई थी। इससे अभिभावक अपने बच्चों को लेने निकले तो वे भी जाम में फंस गए थे।
डिमना के रहने वाले राकेश कुमार ने बताया कि वे अपने बेटे को स्कूल से लेने निकले थे, लेकिन मानगो बस स्टैंड गोलचक्कर के नजदीक घंटों जाम में फंसे रहे। अभिभावकों ने प्रशासन से नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने बड़े प्रदर्शन के लिए ट्रैफिक व्यवस्था के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाया जाना चाहिए था।
साकची गोलचक्कर, पुराना एमजीएम अस्पताल गोलचक्कर समेत शहर के अन्य प्रमुख मार्गों पर भी वाहनों की रफ्तार थम गई थी। वाहनों का आवागमन बाधित था। जुलूस के दौरान मानगो बस स्टैंड गोलचक्कर से डीसी ऑफिस जाने वाली सड़क को एहतियातन बंद कर दिया गया था।