रांची : झारखंड में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। चटक धूप के बाद अचानक गिरते तापमान ने बता दिया है कि सर्दी अब दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। बीते 24 घंटे में तापमान में 5 डिग्री की गिरावट ने ना सिर्फ लोगों को हैरान किया है, बल्कि मौसम वैज्ञानिकों को भी सतर्क कर दिया है। रांची से लेकर लातेहार तक, गुलाबी ठंड ने शाम ढलते ही अपनी मौजूदगी दर्ज करानी शुरू कर दी है। वहीं, ला नीना की दस्तक ने यह संकेत दे दिया है कि इस बार सर्दी सिर्फ दस्तक देकर नहीं जाएगी — बल्कि पूरे जोर-शोर से आने वाली है!
मानसून की विदाई के साथ आई ठंड की दस्तक
रांची सहित झारखंड के विभिन्न जिलों में शनिवार को तेज धूप और उमस के बावजूद रात के समय अचानक ठंड बढ़ गई। मौसम विभाग ने पुष्टि की है कि राज्य से मानसून लगभग 95% तक विदा हो चुका है और शेष हिस्सों से भी आगामी 2-3 दिनों में पूरी तरह विदाई की संभावना है। गुमला में बीते 24 घंटे में सबसे अधिक 10 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो मानसून की अंतिम बौछार मानी जा रही है।
न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट
राज्य के लातेहार जिले में बीते 48 घंटे में न्यूनतम तापमान 20°C से गिरकर 16°C तक पहुंच गया है। रांची, खूंटी और लोहरदगा में भी तापमान 17°C से 19°C के बीच रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 4-5 डिग्री कम है। यह गिरावट साफ तौर पर दर्शाती है कि अब शीतकालीन मौसम सक्रिय हो गया है।
आज का मौसम पूर्वानुमान : रहेगा साफ आसमान
रविवार को झारखंड के किसी भी जिले के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है। दोपहर और शाम के समय आसमान पूरी तरह साफ रहेगा, जिससे लोग आसानी से सूर्योदय और सूर्यास्त का आनंद ले सकेंगे। हालांकि, रात 7 बजे के बाद हल्की ठंड महसूस की जा सकती है और न्यूनतम तापमान में और 2-3 डिग्री की गिरावट संभव है।
ला नीना का असर : इस बार और सख्त होगी सर्दी
रांची स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि इस बार La Nina के प्रभाव के चलते हिमालयी क्षेत्रों में व्यापक बर्फबारी की संभावना है। इसके कारण पश्चिमी विक्षोभ कमज़ोर पड़ सकते हैं, जिससे उत्तर भारत में शुष्क मौसम और कम वर्षा देखने को मिलेगी। इसका प्रभाव झारखंड पर भी दिखेगा, जहां उत्तर से आने वाली ठंडी हवाएं न्यूनतम तापमान को काफी नीचे ले जा सकती हैं।
क्या है ला नीना
La Nina एक वैश्विक जलवायु परिघटना है, जिसमें प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र का सतही तापमान सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है। इसका सीधा असर वैश्विक मौसम प्रणाली पर पड़ता है। भारत में इसका प्रभाव विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में महसूस किया जाता है।